Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजन की कई मान्यताएं हिंदू धर्म में पूजा-पाठ से लेकर खान-पान के लिए भी महत्वपूर्ण होती है. खासकर दिवाली के मौके पर काफी सारे त्यौहार पड़ते हैं, तब काफी पकवान और खाने-पीने की चीजें बनाई जाती है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी से बनाए जा रहे हैं. इन पारंपरिक खान-पान का भी अलग ही महत्त्व होता है जो संस्कारों में आता है.
इस पूजा-पाठ के संदर्भ में आज हम कुछ ऐसी पारंपरिक खान-पान से जुड़ी बातें करने जा रहे हैं, जो काफी महत्वपूर्ण है. यह बात कढ़ी-चावल खाने के संबंध में है. दीपावली के अगले दिन हमारे देश में गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गोवंश यानी गाय और प्रकृति की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन का मुख्य भोजन कढ़ी-चावल होता है. इसी से भगवान को भोग लगाने के बाद परिवार सहित सभी लोग कढ़ी-चावल खाते हैं.
इस दिन कढ़ी-चावल खाने का महत्व
गोवर्धन पूजा पर कढ़ी-चावल खाने के महत्व के दो अलग महत्व हैं. एक धार्मिक महत्व है और दूसरा सेहत के लिए लाभ से जुड़ा महत्व. धार्मिक महत्व तो यह है कि गोवर्धन पूजा उस दिन की जाती है, जिस दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. इस दौरान कान्हा ने मानव जीवन को सुखद बनाए रखने के लिए गौवंश और प्रकृति के महत्व के बारे में भी बताया था. इसलिए गाय के दूध की छाछ से बनी कढ़ी और धान से उत्पन्न चावल से इस दिन कान्हा के साथ ही गायों का भी पूजन किया जाता है. और फिर स्वास्थ्य की कामना करते हुए कढ़ी-चावल का सेवन किया जाता है.
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
गोवर्धन पूजा का पर्व दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है. तो स्वास्थ्य विज्ञान में इस दिन कढ़ी-चावल खाने का महत्व यह है कि दिवाली के दिन पूड़ी-पकवान और तरह-तरह के गरिष्ठ व्यंजन खाए जाते हैं. जिससे पाचनतंत्र पर अधिक दबाव पड़ता है. जबकि छाछ से बनी कढ़ी सुपाच्य और पाचन को सही बनाने में भी सहायक होती है. इसलिए हाई फैट युक्त भोजन खाने के बाद जब कढ़ी-चावल का सेवन किया जाता है तो हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है और दिवाली के दिन खाए गए हैवी फूड से हमारी हेल्थ खराब नहीं होती है.
कढ़ी-चावल खाने के फायदे
देसी गाय के दूध से बनी छाछ से तैयार कढ़ी में कई प्रकार को स्वास्थ्य वर्धक तत्व पाए जाते हैं. इनमें प्रोटीन, कैल्शियम और फास्फोरस भी शामिल हैं.
इस दिन कढ़ी को मुख्य रूप से लोहे की कढ़ाई में बनाने की परंपरा है. लोहे की कढ़ाही में घंटों पकने के कारण कढ़ी में आयरन की भी प्रचुर मात्रा होती है. इसलिए यह शरीर में स्फूर्ति लाने का काम करती है.
कढ़ी में ऐंटिइंफ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं. ये शरीर में पनप रहे कई रोगों को जड़ से खत्म करने का काम करते हैं और आंतरिक सूजन को बढ़ने नहीं देते हैं.
चावल में स्टार्च अच्छी मात्रा में होता है और कढ़ी में गुड बैक्टीरिया को बढ़ानेवाले तत्व पाए जाते हैं. इसलिए कढ़ी-चावल का मेल आपकी आंतों को सही बनाए रखने का काम करता है.
कढ़ी पेट में पनप रहे कई तरह के संक्रमणों को दूर करने का काम करती है. यह पेट में घाव और मुंह में छाले होने की समस्या से बचाव करती है. इसलिए आपको कम से कम महीने में दो बार लोहे की कढ़ाही में बनी कढ़ी का सेवन अवश्य करना चाहिए.
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