Gyanvapi Case: 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है या नहीं, आज कोर्ट करेगी फैसला

ज्ञानवापी प्रकरण (Gyanvapi Case) में सोमवार को जिला जज एके विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई. जिला जज ने शृंगार गौरी और अन्य विग्रहों के दर्शन-पूजन के अधिकार की अर्जी की पोषणीयता और कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के बाद आईं आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुना. इसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया. पहले किसे सुना जाए, इस पर कोर्ट आज आदेश देगा.

सोमवार को हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपनी-अपनी दलील पेश की. मुस्लिम पक्ष की ओर से 1991 के प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट को आधार बताकर केस को खारिज करने की मांग की. जिस पर हिन्दू पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में 1991 के कानून का उल्लंघन नहीं होता. हिंदू पक्ष की तरफ से मांग की गई कि पहले कमीशन की रिपोर्ट को शामिल करके ज्ञानवापी के धर्मिक चरित्र का निर्धारण होना चाहिए. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज अर्जुन कृष्ण विश्वेश ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिए. आज दोपहर 2 बजे कोर्ट मुकदमे की पोषणीयता पर आदेश देगा.

मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव ने कहा कि सोमवार को 7/11 की याचिका पर बहस हुई. वाद की पोषणीयता और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में बहस हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोर्ट से मांग की गई कि 1991 प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट के तहत वाद ही नहीं बनता, लिहाजा मुकदमा ख़ारिज किया जाये.

इस पर हिन्दू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु जैन ने कहा कि कोर्ट से नियुक्त कमिश्नर ने सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है. इसलिए प्रतिवादी पक्ष इस पर आपत्ति पेश करे. उन्होंने कहा कि कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिए आवेदन किया था.

वर्शिप एक्ट इस केस में अप्लाई नहीं होता
हिन्दू पक्ष के अनुसार कमीशन की कार्यवाही रिपोर्ट को भी इस बहस में शामिल किया जाना चाहिए. अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि 1991 का उपासना स्थल कानून इस मामले में अप्लाई नहीं होता. बिना धार्मिक चरित्र का विश्लेषण किए 7/11 का कोई आधार नहीं बनता. विष्णु जैन ने कहा कि कमीशन कार्रवाई, वीडियो, फोटोग्राफ इस वाद से जुड़े साक्ष्य हैं. उसकी वीडियो व फोटोग्राफ की पहले नक़ल दी जाए. दोनों पक्षों से आपत्ति आने के बाद तय हो कि वाद पोषणीय है या नहीं. बता दें कि 7/11 की याचिका में मुस्लिम पक्ष ने मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए हैं.

पूर्व महंत ने मांगा पूजा का अधिकार
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने सोमवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में शृंगार गौरी प्रकरण में भगवान विश्वेश्वर की पूजा के अधिकार के लिए पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल की. अदालत ने अर्जी की पोषणीयता पर मंगलवार तक सुनवाई टाल दी.

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