UP: दहेज मांगने वालों का निकाह नहीं पढ़ाएंगे काजी व उलेमा, आयशा खुदकुशी मामले के बाद लिया गया फैसला

गुजरात के अहमदाबाद में दहेज (Dowry) की मांग से तंग आकर आयशा आरिफ खान (Ayesha Arif Khan) ने साबरमती नदी में छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं। गुरुवार को राजधानी लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने दहेज की मांग करने को पूरी तरह से गैर इस्लामी और जुर्म बताया। वहीं, दूसरी तरफ शुक्रवार को गोरखपुर में मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) व मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) देश भर के काजी व उलेमा-ए-किराम (Kazi And Ulema) से अपील की है कि जिस भी निकाह में दहेज की मांग, बैंड बाजा, डीजे व आतिशबाजी हो, उनके निकाह (Niqah) हरगिज न पढ़ाएं।


मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) व मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) ने दीन-ए-इस्लाम में बढ़ती सामाजिक बुराईयां मसलन निकाह में दहेज की मांग, बैंड-बाजा, डीजे, आतिशबाजी, नाच-गाना, खड़े होकर खाना व फिजूलखर्ची पर फिक्र जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि निकाह के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है। लड़की वालों से दहेज की मांग की जा रही है, जिसको किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। दहेज की नुमाइश पर भी रोक लगानी चाहिए।


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उन्होंने कहा कि दहेज की मांग जैसी बुराई का उदाहरण हाल ही में गुजरात की आयशा के साथ हुआ हादसा है। दहेज की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं। अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक्म दिया। डीजे, ढोल-बाजे और आतिशबाजी दीन-ए-इस्लाम मे नाजायज और हराम है। इसको सख्ती से रोका जाए।


साथ ही इस पर पांबदी लगाने का सामाजिक मकसद फिजूलखर्ची रोकने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण और रास्तों में आम लोगों को होने वाली परेशानियां रोकना है। इस मसले पर काजी और उलेमा-ए-किराम की एक बैठक जल्द बुलाई जाएगी। जिसमें अपील की जाएगी कि उलेमा, काजी और मौलवी उर्स की महफि‍लों, जलसों व जुमे की तकरीरों में अवाम को जागरूक करें।


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बता दें कि इससे पहले गुरुवार को मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अहमदाबाद में दहेज की मांग से तंग आकर आयशा आरिफ खान ने साबरमती नदी में कूद कर खुदकुशी कर ली, जो मुस्लिम समाज के लिए चिंता का विषय है। मौलाना ने कहा कि मस्जिदों के इमाम शुक्रवार को जुमे की नमाज में निकाह के लिए शरई आदेश के साथ शौहर और बीवी के अधिकार व कर्तव्यों की जानकारी दे, जो अल्लाह पाक और उनके रसूल ने तय किए हैं।


मौलाना ने कहा कि निकाह एक बड़ी इबादत है, लेकिन इस मौके पर कुछ लोग दहेज की मांग करते है, जो शरई तौर पर हराम है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में तमाम लोग ऐसे हैं जो दहेज को गैर इस्लामी मानते हैं, लेकिन कुछ लोग इसे रिवाज बनाए हुए हैं। इसकी वजह से तमाम लड़कियां निकाह से महरूम है। मौलाना ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वो तय करे कि शादियों में न तो दहेज लेंगे और ना ही दहेज देंगे। दहेज रहित समाज की स्थापना करने पर ही लड़कियां खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम नहीं उठाएंगी।


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