यूपी: इस जिले की पुलिस नहीं मनाती कृष्ण जन्माष्टमी, ये है वजह

यूपी में सभी पुलिस स्टेशनों में जन्माष्टमी मनाने का अलग ही महत्व है। लेकिन पूरे प्रदेश में सिर्फ कुशीनगर एक ऐसा जिला है, जहां जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती। दरअसल, 1994 में इसी तिथि की काली रात को बहुचर्चित पचरुखिया कांड (पुलिस व बदमाश मुठभेड़) में पुलिस के छह जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद से इन्हीं पुलिसकर्मियों को शहादत देने के लिए पुलिसकर्मियों ने जन्माष्टमी ना मनाने का निर्णय किया था। आइए आपको भी बताते हैं इसके पीछे की असल वजह।

 

क्या है पचरुखिया कांड

जानकारी के मुताबिक, देवरिया जनपद से अलग होकर कुशीनगर जनपद का 13 मई 1994 को पडरौना जिले का सृजन हुआ था। नया जनपद बनने के बाद पहले साल जिले भर के पुलिस कर्मियों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर जोरदार उत्साह रहा। पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियों पर जोरों पर चल रही थी कि 29 अगस्त 1994 को पडरौना कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही आदि पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डालकर उनकी हत्या का योजना बना रहे हैं।

 

तत्कालीन कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने इसकी सूचना एसपी बुद्धचंद को दी। एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेला में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया एसपी ने एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय को इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया।

 

बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, रामअचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय को शामिल किया गया, जबकि दूसरी टीम में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिंह व नागेंद्र पांडेय की टीम साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंचे। वहां पता चला कि जंगल दस्यु बदमाश पचरूखिया गांव में हैं तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुलाकर डेंगी नाव से उस पार चलने को कहा।

 

भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मी नदी इस पार वापस आ गए। दूसरे खेप में डेंगी पर सवार होकर चले पुलिस टीम की नाव पर बीच नदी में पहुंचने पर बदमाशों ने बम चलाकर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया। बदमाशों की गोली से नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव घायल हो गए। नाविक को गोली लगने से डेंगी अनियंत्रित होकर पलट गई।

 

डाकुओं ने की ताबड़तोड़ फायरिंग

इससे नाव सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में गिर गए। इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर किया। सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस से इसकी सूचना एसपी को दी। इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स ने डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन की। इस कांड में एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली के आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गये तथा नाविक भुखल भी मारा गया। इस कांड में दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह घायल हो गए।

 

घटनास्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हुए लेकिन अनिल पांडेय की पिस्तौल अब तक नहीं मिल सकी है। तत्कालीन डीजीपी ने भी घटना स्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी। इसके बाद कुशीनगर पुलिस पिछले 26 साल से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती है।

 

Also Read: ये है भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग चढ़ाने की पौराणिक कथा व लाभ

 

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )