रोजगार से जुड़े सही आंकड़े जानने के लिए नए सिरे से राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कराएगी मोदी सरकार

रोजगार से जुड़े सही आंकड़े जानने के लिए केंद्र की मोदी सरकार नए सिरे से राष्ट्रीय सैंपल सर्वे (NSS) कराएगी. जो यह दिखाएगा कि ‘पर्याप्त रोजगार सृजन’ हो रहा है. यह बात पीएम नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के प्रमुख बिबेक देबरॉय ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कही. देबरॉय वीडियो में यह भी कह रहे हैं कि कि नौकरियां, रोजगार और कारोबारी माहौल में एक बड़ी हिस्सेदारी राज्यों के तहत आती है. देबरॉय ने कहा कि हम एनएसएस का नया दौर शुरू करेंगे, जिसकी घोषणा जल्द की जाएगी. मुझे भरोसा है कि उस सर्वे में यह दिखाई देगा कि व्यापक स्तर पर रोजगार का सृजन हुआ है. हालांकि देबरॉय ने यह स्पष्ट किया है कि उनका यह वीडियो तकरीबन 2 सप्ताह पहले शूट किया गया था.


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2011-12 के बाद रोजगार सृजन में कोई ठोस आंकड़ा नहीं

इस वीडियो संदेश में बिबेक देबरॉय ने कहा था कि भारत के पास 2011-12 के बाद हुए रोजगार सृजन को लेकर कोई ठोस सांख्यिकी आंकड़ा नहीं है. ईएसी-पीएम प्रमुख ने कहा कि भारतीय मानव श्रम का बड़ा हिस्सा अब भी असंगठित क्षेत्र के तहत आता है. देबरॉय ने कहा कि असली मुद्दा सृजित रोजगार की संख्या नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता और वेतन दर है. सरकार के पास रोजगार उपलब्ध कराने के सीमित संसाधनों की तरफ ध्यान दिलाते हुए देबरॉय ने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन सरकार से इतर यानी निजी क्षेत्र में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार स्व-रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर यही कर रही है. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री स्टार्टअप इंडिया या स्टैंडअप इंडिया की बात करते हैं तो उनका मतलब इसी बात की तरफ ध्यान दिलाना होता है.


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रोजगार आंकड़ों से मचा है विवाद

साल 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा है. इस रिपोर्ट से पैदा हुए विवाद के बाद सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय का सर्वे अभी पूरा नहीं हुआ है और यह उसकी अंतिम रिपोर्ट नहीं है.


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