आंदोलन करने पर हुई कार्रवाई, तो यूपी के पुलिसवालों ने निकाला विरोध का अनोखा तरीक़ा

राजधानी लखनऊ में पांच अक्टूबर को विवेक तिवारी हत्याकांड में आरोपी कांस्टेबल का सर्मथन करने वाले कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई। लेकिन अब पांच दिन बाद फिर यूपी पुलिस के जवान अपनी मांगों को लेकर विरोध जता रहे हैं। इस बार सिपाहियों ने तरीका बदल दिया है। विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए सिपाही और दारोगा हेलमेट पहनकर और काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जता रहे हैं।

 

नहीं काम आया 25000 सिपाहियों के प्रमोशन का फंडा

दरअसल, सिपाहियों के विरोध करने के तुरंत बाद राज्य सरकार ने 25 हजार से ज्यादा कॉन्स्टेबल को प्रमोशन दिया था। राज्य में 25,091 कॉन्स्टेबल को प्रमोशन देकर हेड कॉन्स्टेबल बना दिया गया है। इस फैसले के बाद माना जा रहा था कि यह कदम सिपाहियों की नाराजगी दूर करने में कारगर साबित होगा। लेकिन डीजीपी ओपी सिंह का यह फैसला काम नहीं आया। यही नहीं बॉर्डर स्कीम को भी खत्म करने की कवायद की जारी है। 10 अक्टूबर यानी बुधवार को भी यूपी पुलिस के सिपाहियों और दारोगाओं ने अपनी मांगों को लेकर विरोध जताया।

 

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पांच अक्टूबर को जहां सिपाहियों ने खुलकर विरोध किया था वहीं, बुधवार (10 अक्टूबर) को पुलिस के जवान सतर्क नजर आए। इस बार उन्होंने हेलमेट पहनकर और काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि किसी भी पुलिसकर्मी की पहचान न हो सके और वो विभागीय कार्रवाई से भी बच जाएं। यही नहीं, बस्ती जिले के थाना मुण्डेरवा की तरफ से एसएसपी को एक पत्र भेजा गया है। इसमें सिपाहियों ने अपनी समस्याएं बताते हुए उन्हें दूर करने की मांग की है।

बता दें कि इससे पहले विरोध जता रहे सिपाहियों पर एक्शन लेकर उन्हें संदेश देने की कोशिश की गई थी। इस मामले में दो कांस्टेबल केशव दत्त पांडे और मोहम्मद शादाब को सस्पेंड कर दिया गया था। यही नहीं 11 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया था जिसमें एक सब-इंस्पेक्टर भी शामिल था। इन सभी ने काली पट्टी बांधकर कांस्टेबल प्रंशात चौधरी के साथ हुई कार्रवाई का विरोध जताया था। वहीं, लखनऊ में तीन और एटा में एक कांस्टेबल को सस्पेंड किया गया था। जानकारी के मुताबिक, दो निलंबित पुलिसवालों को वाराणसी और मिर्जापुर से गिरफ्तार भी किया गया था।

 

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पुलिसकर्मियों ने दिया बॉर्डर स्कीम के लिए सुझाव

बॉर्डर स्कीम को लेकर पुलिसकर्मियों का कहना है कि पुलिस बल के ज्यादातर लोगों को शांति व्यवस्था, कानून व्यवस्था, वीवीआईपी ड्यूटी और त्योहारों के अवसर पर अक्सर छुट्टी नहीं मिल पाती। अगर मिल भी जाती है तो गृह जनपद से दूर होने की वजह से आने-जाने में अतिरिक्त समय और रूपए खर्च हो जाते हैं।

 

 

सुझाव में पुलिसकर्मियों का कहना है कि पुलिस बल के लोगों की सैलरी अन्य विभागों के समकक्ष पदों की तुलना में कम होने के कारण और ज्यादा दूर तैनाती होने की वजह से अपने परिवार, माता-पिता और बच्चों की देखभाल व परवरिश में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से मानसिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

 

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उनका यह भी कहना है कि अधिकतर पुलिसवालों को सरकारी आवास नहीं मिल पाता है। ऐसे में अगर कोई परिवार रखना चाहे तो मंगाई की वजह से किराए में भी वेतन का अधिकतर हिस्सा खर्च हो जाता है जबकि विभाग की तरफ से नाम मात्र का भत्ता दिया जाता है।

 

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सुझाव में यह भी कहा गया है कि देश के कई प्रांतों में पुलिस बल के जवान अपने-अपने गृह जनपद में तैनात होकर कार्य करते हैं। ऐसे में उनमें तनाव की स्थिति नहीं उत्पन्न होती। वहां कानून व्यवस्था की स्थिति भी सामान्य है। उनका कहना है कि उन्हें भी गृह जनपद और पास के जिलों में तैनाती मिले ताकि वो भी तनावमुक्त होकर काम कर सकें।

 

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