सपा विधायक ने मायावती को बताया ‘धोखेबाज’, बोले- उनके लोगों ने हमें वोट नहीं दिया

लोकसभा चुनाव में 2019 अपेक्षित परिणाम न मिलने पर गठबंधन टूटने के कयासों के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को दिल्ली में हुई पार्टी की मीटिंग में ये एलान करके सबको चौंका दिया कि यूपी की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में होगी. मायावती ने गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं होने की बात कहते हुए यादव वोट पार्टी को ट्रांसफर नहीं होने का आरोप भी लगाया है.


मायावती के बयान के बाद शिकोहाबाद से सपा विधायक हरिओम यादव ने कहा, “इस गठबंधन का मायावती केवल मायावती को हुआ, इसमें समाजवादी पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ, समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ती तो कम से कम 25 सीट जीतती. यादव वफादार होता है इसलिए उनकी दस सीट निकलीं. पिछले लोकसभा चुनाव में बहन जी एक भी सीट नहीं जीत सकी थीं जबकि सपा पांच सीट जीतकर आई थी. इस बार गठबंधन होने के बाद भी सपा पांच सीट पर ही सिमट गई. इससे प्रतीत होता है कि बसपा के वोटरों ने सपा प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया जबकि सपा के वोटरों ने बसपा को वोट दिया था. इसकी वजह से ही बसपा की दस सीट जीत गईं”.


बता दें कि सोमवार को बसपा चीफ मायावती बसपा यूपी के पदाधिकारियों, सांसदों व लोकसभा प्रत्याशियों के साथ दिल्ली में बैठक की. इस दौरान बसपा चीफ ने कहा, “हमें गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं हुआ. अखिलेश यादव वोटों का बंटवारा रोक नहीं पाए. हम गठबंधन की समीक्षा कर रहे हैं”. बीजेपी पर हमला बोलते हुए बसपा चीफ ने कहा, “लोकसभा चुनाव में इवीएम में बड़े स्तर पर धांधली की गयी”. मायावती ने एक अहम फैसला लेते हुए सभी विधानसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इससे पहले बसपा कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ती थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बसपा ने अपना आखिरी उपचुनाव 2010 में लड़ा था.


सूत्रों के अनुसार मायावती ने हार पर समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में बसपा सांसदों और जिलाध्यक्षों से कहा है कि पार्टी सभी विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ेगी और अब 50 फीसदी वोट का लक्ष्य लेकर राजनीति करनी है. मायावती ने बैठक के दौरान कहा कि शिवपाल यादव ने यादवों का वोट काटा है.


मायावती की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा की गई. साथ ही सपा और आरएलडी के साथ हुए गठबंधन की भी समीक्षा की गई, हालांकि उस पर अभी किसी ने बोलने से इनकार कर दिया. गठबंधन के साथ-साथ ईवीएम को लेकर बैठक में चर्चा हुई और तय किया गया कि बसपा सुप्रीमो ईवीएम का मुद्दा लगातार उठाती रहेंगी. लोकसभा नतीजों के बाद बसपा की पहली इस बड़ी बैठक में आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी चर्चा हुई और बीजेपी की तरह 50 प्रतिशत की रणनीति बनाने की बात हुई. बैठक के बाद ये संकेत भी दिए गए कि मायावती विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश स्तर पर संगठन में बड़ा बदलाव कर सकती हैं.


बता दें कि लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी को महज पांच सीटें मिलीं. अखिलेश यादव और मुलायम सिंह को छोड़कर यादव परिवार के सभी सदस्यों को भी हार का सामना करना पड़ा. यह जरूर है कि 2014 के मुकाबले बीएसपी फायदे में रही लेकिन जितनी उम्मीद की जा रही थी वैसा कुछ भी नहीं हुआ. पार्टी को दस सीटें मिलीं. वहीं आरएलडी अपना खाता भी खोल सकी. खुद चौधरी अजित सिंह को नजदीकी मुकाबले में हार मिली. उन्हें बीजेपी के संजीव बालियान ने हराया.


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