मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा दिनांक 1-2 अप्रैल 2025 के मध्य आयोजित किए जा रहे ‘डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस‘ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन आज 1 अप्रैल 2025 को प्रातः 11 बजे विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में हुआ। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, प्रयागराज के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने उपस्थित रहे जबकि उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो जय प्रकाश सैनी जी ने की। मुख्य अतिथि एवं माननीय कुलपति महोदय सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर एवं वाग्देवी तथा पंडित मालवीय के चित्र पर माल्यार्पण कर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
सम्मेलन में बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रो. सुतावने ने कहा कि डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दो ऐसे उभरते हुए क्षेत्र हैं जिनका लाभ कंप्यूटर साइंस विषय तक सीमित न होकर ज्ञान विज्ञान एवं मानव जीवन के अन्य क्षेत्रों को भी मिलेगा।इस लिहाज से ये दोनों क्षेत्र भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। आने वाले समय में सबसे महत्वपूर्ण चीज डेटा होगी। और जो भी डेटा का विश्लेषण कर सकेगा वह ही भविष्य का नेतृत्व करेगा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी ने कहा कि यद्यपि कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दिशा में बहुत महत्वपूर्व प्रगति हुई है परंतु अभी भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को ह्यूमन इंटेलीजेंस के समतुल्य होने में बहुत समय लगेगा। उन्होंने कहा कि फिर भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने में खासकर कम संसाधन वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसलिए, जरूरी है कि हम ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर उस दिशा में ए आई के प्रयोग की संभावना तलाशें। डॉ. अंशुल वर्मा (बी.एच.यू. वाराणसी), इस क्षेत्र के एक प्रमुख विशेषज्ञ, ने डेटा और ए.आई. अनुप्रयोगों की भूमिका पर एक रोचक व्याख्यान दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे ए.आई.-संचालित अंतर्दृष्टि वैश्विक स्तर पर उद्योगों और अनुसंधान क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। डॉ.अजय कुमार (सिंबायोसिस इंटरनेशनल डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे) ने सम्मेलन को अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और प्रतिभागियों को सार्थक चर्चाओं और सहयोगों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, जिससे एआई और डेटा साइंस के भविष्य को आकार दिया जा सके। डॉ. अक्षी कुमार (गोल्डस्मिथ्स यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, यू0के0) ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य “ज्ञान को स्वयं तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि साझा करना चाहिए।” के माध्यम से श्रोताओं को प्रेरित किया। उन्होंने नवाचार और उन्नति को बढ़ावा देने के लिए खुले ज्ञान-साझाकरण के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. सर्वेश पांडे (यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, इरविन, यू0एस0ए0) ने चैटजीपीटी और अन्य एआई टूल्स को सम्मेलन की मुख्य थीम से जोड़ते हुए एक रोचक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ये प्रौद्योगिकियाँ कैसे मानव-एआई बातचीत को आकार दे रही हैं और स्वचालन में क्रांति ला रही हैं।
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डॉ. के.वी. आर्य (IITM ग्वालियर) ने डेटा प्रोसेसिंग और एनालिटिक्स पर गहन चर्चा की और यह बताया कि विशाल डेटा सेट्स से उपयोगी जानकारी प्राप्त करने में ये कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके सत्र ने डेटा साइंस तकनीकों के प्रभावी निर्णय लेने में उपयोग पर प्रमुख अंतर्दृष्टि प्रदान की।
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