इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने लड़की का अपहरण करने और फिर निकाह के लिए धर्म परिवर्तन कराने के आरोपियों रजमानी और आमरीन को जमानत देने से साफ इंकार कर दिया है। जस्टिस जेजे मुनीर ने इन आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। एटा के जलेसर निवासी प्रवीन कुमार ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि 17 नवंबर 2020 को उनकी लड़की सुबह मार्केट गई थी, जब मो. जावेद और उसके 5 रिश्तेदारों और 2 अज्ञात लोगों ने उसे किडनैप कर लिया। इसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया और निकाह के लिए जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया।
जानकारी के अनुसार, जमानत की अर्जी देने वाले रजमानी और आमरीन का कहना था कि एफआईआर में उनका नाम नहीं था। उनके नाम बाद में विवेचना में सामने लाया गया। इन दोनों पर आरोप हैो कि उन्होंने पीड़ित परिवार को मुकदमा दर्ज कराने पर धमकाया था और मुकदमे की पैरवी करने से रोका था।
दोनों का कहना था कि उन्हें बेवजह फंसाया गया है और उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में उनके नाम नहीं लिए हैं। दोनों आरोपी घटना स्थल से करीब 70 किमी दूर रहते हैं। कोर्ट ने लड़की द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान के मद्देनजर दोनों आरोपियों रजमानी और आमरीन की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
पीड़ित लड़की ने अपने बयान में कहा है कि उसे जबरदस्ती एक कार में अगवा करके दिल्ली की कक्कड़दुमा कोर्ट में ले जाया गया। जहां कुछ वकीलों की मौजूदगी में उससे कागजों पर दस्तखत कराए गए, उन कागजों में उर्दू में लिखा था इसलिए वह समझ नहीं पाई कि उनमें क्या लिखा है।
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