भ्रष्टाचार पर CM योगी की बड़ी कार्रवाई, 100 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी में उप-आबकारी आयुक्त समेत 12 सस्पेंड

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार भ्रष्टाचार पर कड़ा रूख अख्तियार किए हुए है. इसी कड़ी में सहारनपुर (Saharanpur) में टपरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी में आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ रुपए की टैक्स और एक्साइज ड्यूटी की चोरी मामले में उप आबकारी आयुक्त समेत 12 लोगों को सस्पेंड कर दिया है, जिनमे उप आबकारी आयुक्त राकेश कुमार चतुर्वेदी, सहायक आबकारी आयुक्त रामपाल सहित आबकारी विभाग के 10 अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं. वहीं इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है.


वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि  इस मामले में आबकारी विभाग के 10 कर्मी निलंबित किए गए हैं. साथ ही टपरी डिस्टलरी से सम्बंधित सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवायी गयी है. इसके अलावा सहारनपुर, कानपुर, उन्नाव, बदायूं और संभल के देसी शराब की थोक आपूर्ति के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं.


दरअसल, एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह की टीम ने तीन मार्च को सहारनपुर में टपरी स्थित देसी शराब फैक्ट्री में आबकारी विभाग के अधिकारियों व स्थानीय आबकारी डिस्ट्रीब्यूटरों की मिलीभगत से करोड़ों के टैक्स व एक्साइज ड्यूटी की चोरी पकड़ी थी. मामले में कापरेटिव कंपनी लिमिटेड के मालिक प्रणव अनेजा, सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन जगराम व आबकारी निरीक्षक अरविंद कुमार समेत 32 आरोपितों के विरुद्ध दो मुकदमे दर्ज कराए.


इस मामले में एसटीएफ ने उन्नाव के आबकारी विभाग के गोदाम में भी छापा मारा था. शुरुआती जांच में बड़ी मात्रा में अल्कोहल की चोरी व डुप्लीकेट बार कोड के जरिए बड़ी धांधली सामने आई है. यह मामला कई जिलों से जुड़ा है. यही वजह है कि इसकी जांच एसआइटी को सौंप दी गई है. एसआइटी के एसपी देवरंजन जांच करेंगे और बताया जा रहा है कि जल्द एसआइटी की टीम सहारनपुर का रुख करेगी. धांधली का राजफाश करने वाली एसटीएफ की टीम के सदस्य भी जांच दल में शामिल किए जाएंगे.


ऐसे करते थे टैक्स चोरी

आरोपी जब भी दूसरे जिलों में शराब भेजते थे तो वह एक गेट पास और एक बिल पर दो गाड़ियों को निकाल देते थे. यह गाड़ियां उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के बड़े शराब ठेकेदार अजय जयसवाल, कानपुर, संभल, बदायूं सहित अनेक जनपदों में सप्लाई की जाती थी. कंपनी के बार कोड को भी डुपलिकेट एक साफ्टवेयर से डाउनलोड करके शराब की पेटियों पर चिपकाते थे. ताकि यह न लगे कि एक बिल पर दो गाड़ी को निकालने के काम को अंजाम दिया जा रहा है. इनके द्वारा अधिकारियों को गुमराह किया जा रहा था.


Also Read: UP के गुड़ को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाएंगे CM योगी, गन्ना किसानों को होगा फायदा


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )