एडल्टरी क़ानून पर बोले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल- मानवाधिकार के नाम पर स्त्री को पराए पुरुष के साथ रात बिताने का अधिकार देना कहां का न्याय है

एडल्टरी क़ानून को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मानवधिकार के नाम पर स्त्री को पराए पुरुष के साथ रात बिताने का अधिकार देना कहां का न्याय है. राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक रात स्त्री नए ‘देवता’ की तलाश करे, यह संविधान में मान्य है, मानस में नहीं. ये बातें कानपुर में महाराज प्रयाग नारायण शिवाला में मानस संगम के 50 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहीं.

 

केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा की हम उस देश में रहते हैं, जहां माता सीता अपने पति राम को देवता मानती हैं. जब वनवास की बारी आई, तो उन्होंने कहा कि मैं अर्द्धांगिनी हूं, सुख और दुख दोनों में बराबर की हिस्सेदारी करूंगी और राम के साथ वन चली गईं. आज पुरुष-महिलाओं को संवैधानिक अधिकार मिले हैं, ऐसे में मानवाधिकार की बात करते हुए स्त्री को पराए पुरुष के साथ रात बिताने का अधिकार देना कहां का न्याय है.

 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में व्यभिचार से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से मनमाना है और महिला की वैयक्तिकता को ठेस पहुंचाता है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए इस दंडात्मक प्रावधान को निरस्त कर दिया.

 

भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार यदि कोई पुरूष यह जानते हुए भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौनाचार करता है तो वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा. यह बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा. इस अपराध के लिए पुरूष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान था.

 

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