UP में कौशल विकास के जरिए हर परिवार को एक रोजगार देने की तैयारी, जानिए योगी सरकार का प्लान

“हर परिवार,एक रोजगार” भाजपा का संकल्प है. चुनाव के पहले जारी भाजपा के लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में भी इसका जिक्र किया है. लगातार दोबारा सत्ता में आने और मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भाजपा के इस संकल्पपत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता रहे हैं. इस संकल्पपत्र को पूरा करने में सबसे बड़ी भूमिका स्वरोजगार की होगी. यही वजह है कि मुख्यमंत्री का रोजगार परक पाठ्यक्रमों पर खासा फोकस है. प्रदेश में स्किल विश्वविद्यालय की स्थापना, हर ब्लॉक में आईटीआई, ब्लॉक स्तर पर कौशल प्रशिक्षण की सुविधाओं का विस्तार, संबंधित जिले की जरूरत के अनुसार कौशल विकास योजना के नए पाठ्यक्रमों के विकास जैसे निर्णयों के पीछे मुख्यमंत्री की यही मंशा है.

सीएम योगी का मानना है कि ऐसे पाठ्यक्रमों के जरिए अपनी रुचि के अनुसार सैद्धान्तिक और व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने वाले युवाओं में से कई अपना उद्यम लगाना चाहेगें. ऐसे युवाओं को सरकार हर स्तर (पूंजी उपलब्ध कराने से लेकर पैंकिंग, ब्रांडिंग और बाजार) पर मदद करेगी. उद्यम लगाकर ये खुद के साथ स्थानीय स्तर पर अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकेंगे. यही नहीं ऐसे पाठ्यक्रमों से उनका हुनर निखरेगा जिस वजह से देश-दुनिया में संबंधित हुनर में दक्षता के कारण उनके श्रम की कीमत बढ़ेगी. कीमत बढ़ने से उनकी आय में वृद्धि होगी जिसके नाते उनके जीवन में खुशहाली भी बढ़ेगी. अन्ततः इसका लाभ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मिलेगा. यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन यूएस डॉलर तक पहुचाने में मददगार होगा.

यही वजह है कि 21 मार्च को मंत्रिपरिषद के समक्ष शिक्षा एवं युवा कल्याण सेक्टर के विभागों की कार्ययोजना प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जापान में उद्योगों के संचालन के लिए कुशल जनशक्ति की आपूर्ति और जापानी भाषा के अध्ययन की भी व्यवस्था प्रदेश को शिक्षण संस्थान करें. शिक्षा सिर्फ रोजगारपरक ही नहीं देश-दुनिया के बाजार की मांग के अनुकूल हो, मुख्यमंत्री लगातार इसकी चर्चा करते हैं. उनकी मंशा के अनुसार भविष्य में रोजगार परक शिक्षा को प्रौद्योगिकी के अनुसार अपडेट करने, इसमें ड्रोन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, साइबर सिक्योरिटी, डाटा साइंस, मशीन लर्निंग जैसे अधुनातन विषयों को भी शामिल कर इस बाबत युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा.

रोजगार के लिहाज से खेतीबाड़ी और इससे जुड़ा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र सर्वाधिक संभावनाओं वाला क्षेत्र है. इसिलए आने वाले समय में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचारों (इन्नोवेशन) को शामिल कर सकती है. इस बाबत पहले ही मुख्यमंत्री हर कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने, इनमें खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां लगाने का निर्देश दे चुके हैं. उनका यह भी निर्देश है कि आईटीआई, पॉलिटेक्निक सहित अन्य तकनीकी संस्थाओं को ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद)और विश्वकर्मा श्रम सम्मान जैसी योजनाओं को समायानुकूल ट्रेड से जोड़ा जाए.

जैसे-जैसे लोगों की शिक्षा एवं आय बढ़ेगी उसी क्रम में लोगों की सेहत के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी. ऐसे में फार्मा सेक्टर की संभावनाएं और बेहतर होती जाएगी. इसके मद्देनजर प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के फार्मेसी एवं बायो इंजीनियरिंग रिसर्च संस्थान और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड अर्बन मैनेजमेंट के संस्थान स्थापित किए जाने हैं. मुख्यमंत्री इस बाबत संबंधित अधिकारियों को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दे चुके हैं.

रुचि और क्षेत्र की परंपरा के अनुसार रोजगार परक शिक्षा की शुरुआत कक्षा 9 से ही शुरू कर इसे अलग-अलग सेक्टर के उच्च शिक्षा के स्तर ले जाने के लिए सरकार चरणबद्ध तरीके से कदम उठा रही है. यही वजह है कि प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षण संस्थानों को नवाचार, गुणवत्ता पूर्ण शोध, नामांकन दर में वृद्धि, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा पर विशेष कार्ययोजना बनाने और उनपर कार्यवाही सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. इस बाबत पहल भी हो चुकी है. मसलन 6 माह में नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रथम चरण में 25 हजार माध्यमिक और उच्चतर कक्षाओं के छात्रों का कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा. 100 दिन में तीन रोजगार मेलों के आयोजन होंगे.

निर्माण क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए अगले छह माह में 10 हजार से अधिक लोंगों को इस सेक्टर के लिए में प्रशिक्षित किया जाएगा. इसी क्रम में दो वर्षों में राजकीय आईटीआई में इग्नू के लर्निंग सेंटर की स्थापना और छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ ही उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएं जाएंगे.

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