स्मारक घोटाला: मायावती सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा की बढ़ी मुश्किलें, विजिलेंस ने भेजा नोटिस

उत्तर प्रदेश में विजिलेंस डिपार्टमेंट (Vigilance Department) ने मायावती सरकार के तहत लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण से जुड़े 4,200 करोड़ रुपये के घोटाले (Memorial Scam) के संबंध में बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा को नोटिस जारी किया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब कांग्रेस में हैं जबकि बाबू सिंह कुशवाहा जन अधिकार मंच पार्टी के प्रमुख हैं।


जानकारी के अनुसार, 2013 से चल रहे इस घोटाले के सिलसिले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लोकायुक्त जांच के बाद सिद्दीकी, कुशवाहा और बसपा के 12 विधायकों सहित 199 लोगों को आरोपित किया गया था, जिसके बाद जांच शुरू की गई थी। विजिलेंस डिपार्टमेंट के एक सूत्र ने बताया कि उस समय सेवा में रहे 40 सरकारी अधिकारियों को भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है।


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विजिलेंस अधिकारियों ने कहा कि परियोजना प्रबंधकों ने लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया था, जिन्हें अत्यधिक दरों पर खरीदा गया था। पार्कों और स्मारकों के निर्माण में प्रयुक्त बलुआ पत्थर मिजार्पुर जिले से खरीदे गए थे, लेकिन लागत बढ़ाने के लिए राजस्थान के रास्ते भेजे गए, जिससे राज्य के खजाने को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।


अधिकारियों ने अक्टूबर 2020 में स्मारक घोटाले में पहला आरोप पत्र दायर किया था जिसमें छह सरकारी अधिकारियों का नाम लिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में पीएमएलए का मामला भी दर्ज किया था और लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया था। मायावती ने कथित तौर पर दलितों के नाम पर इन स्मारकों के निर्माण में व्यक्तिगत रुचि ली थी और राज्य के बजट में परियोजनाओं के लिए 4,500 करोड़ रुपये रखे गए थे।


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लोकायुक्त की रिपोर्ट पेश होने के बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने 2014 में एफआईआर दर्ज कराई थी। लोकायुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि मजदूरों और पत्थरों को काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को लखनऊ से किराए पर लिया गया था, जबकि भुगतान कथित तौर पर सामान्य मजदूरी, शुल्क का दस गुना था।


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