कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ को राष्ट्र से ऊपर रखकर इस देश को विभाजन की त्रासदी की ओर ढकेला था। ये केवल राजनीतिक या जमीन के टुकड़ों का विभाजन नहीं था, बल्कि ये मानवता के दो दिलों के विभाजन का एक त्रासदीपूर्ण निर्णय था, जिसकी कीमत आज के ही दिन 1947 में लाखों लोगों को चुकानी पड़ी थी। इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता, इसीलिए आज हमारा संकल्प होना चाहिए कि मेरा व्यक्तिगत स्वार्थ, मेरे परिवार, मेरी जाति, मेरे मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा का स्वार्थ कभी भी मेरे राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकता। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विभाजन विभीषिका दिवस के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के दौरान अपने उद्बोधन में कही।
पाकिस्तान ने दुनिया को आतंकवाद देने का काम किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि आश्चर्य होता है जब 1947 में देश का विभाजन होना ही था तो फिर पाकिस्तान और बांगलादेश से भारत में आज भी घुसपैठ क्यों हो रही है। अगर उन्हें पाकिस्तान ही उतना प्यारा था तो उन्हें उस पाकिस्तान की समृद्धि और मानवता के कल्याण और समृद्धि के लिए वहीं से नया संदेश पूरी दुनिया को देना चाहिए था। मगर उन्होंने इतिहास से सबक नहीं सीखा। परिणाम सबके सामने है। विभाजन की विभीषिका को झेलते हुए भी 140 करोड़ की आबादी वाला भारत जाति, मत, मजहब, उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम के भेद को समाप्त करते हुए, एक भारत श्रेष्ठ भारत के संदेश के साथ आगे बढ़ रहा है। वहीं पाकिस्तान की दुर्गति किसी से छिपी नहीं है। ऐसा नहीं है कि उनके पास उर्वरा भूमि नहीं है। भारत की कृषि उत्पादन की सबसे उर्वरा भूमि विभाजन के बाद पाकिस्तान के पंजाब में गई। पाकिस्तान उस भूमि के बल पर कुछ दिन तक अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में अग्रसर भी हुआ। मगर उसकी नकारात्मकता ने उसे आज वहां पहुंचा दिया है कि हमें वो दृश्य भी देखने को मिल रहा है, जब पांच किलो आटे की बोरी को लेकर सरेबाजार छीना झपटी हो रही है। ये कभी नहीं हो सकता है कि जो दूसरे के लिए कांटा बोए उसके लिए कोई फूल बिछाएगा। यही आज पाकिस्तान के साथ हो रहा है। उसने दुनिया को दर्द देने का काम किया। भारत को विभाजन का दर्द और दुनिया को आतंक देने का काम किया।
बांग्लादेश कभी भारत का टेक्सटाइल हब हुआ करता था
मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के आतंक और बर्बरता के कारण हुए बांग्लादेश की मुक्ति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बंगाल की भूमि कला और साहित्य के लिए जानी जाती है। आज का बांग्लादेश कभी भारत का टेक्सटाइल हब हुआ करता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि मजहब के आधार पर वे सुरक्षित हो जाएंगे, तो पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान भी एक ही मजहब वाले थे। पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान ने कितना अत्याचार किया किसी से छिपा नहीं है। पाकिस्तानी सेना ने बांगलादेश की माताओं और बहनों के साथ कैसा क्रूर व्यवहार किया ये हर कोई जानता है।
किसी को पद चाहिए था किसी को प्रतिष्ठा चाहिए थी
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर 1947 में भारत अपनी आजादी के जश्न को अखंड भारत के रूप में मनाता तो आज दुनिया के लिए इसे महाशक्ति बनने में देर नहीं लगती। मगर जिन्हें भारत की इस ताकत से परेशानी थी, उन्होंने भारत का विभाजन किया। किसी को पद चाहिए था किसी को प्रतिष्ठा चाहिए थी। यह तिथि हमें नई प्रेरणा देती है। इतिहास के उन दु:खद क्षणों से कुछ सबक लेने के लिए प्रेरित करती है। आज हमारा संकल्प होना चाहिए कि मुझे कभी चयन करना हो तो मैं पहले अपने राष्ट्र को स्वीकार करूंगा। जिन देशाों ने प्रगति की उनके पीछे नेशन फर्स्ट की ही उनकी थ्यौरी है। मुख्यमंत्री ने जापान का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि जिस देश पर 1945 में दो दो एटम बम गिराए गये हों वो देश नेशन फर्स्ट की थ्योरी के चलते ही आज विकसित देश बन चुका है।
श्रद्धांजलि सभा से पूर्व मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विभाजन से जुड़ी स्मृतियों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने विभाजन की त्रासदी झेलने वाले परिवारों से मिलकर उस दौर में हुए अत्याचारों की दास्तां भी सुनी और विभाजन के दौरान हुए दानवीय उत्पीड़न पर आधारित लघु चलचित्र को भी देखा। इस अवसर पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, पूर्व मंत्री और एमएलसी महेन्द्र सिंह, विधायक नीरज बोरा, प्रदेश के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी सहित पंजाबी एवं सिंधी समाज से जुड़े लोग मौजूद रहे।
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