विदेशी कंपनियों को रास आ रहा है भारत, ख़त्म हुई चीन बादशाहत

एशिया में चीन को पछाड़ते हुए भारत एक ऐसा देश बन गया है जहां विदेशी कंपनियां निवेश करना ज्यादा पसंद कर रही है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार इससे भारत की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी. गौरतलब है की वॉलमार्ट से लेकर श्नाइडर इलेक्ट्रिक और यूनीलीवर के साथ ही TPG कैपिटल और KKR जैसे स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर्स से लेकर फाइनेंशियल इन्वेस्टर्स तक से मिल रही रकम ने एशिया में फॉरेन इन्वेस्टमेंट का पसंदीदा देश का क्रम बदल दिया है. और दो दशकों बाद भारत को चीन से अधिक विदेशी निवेश मिला है.

 

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भात अगर साल 2018 की करें तो इस साल रत में विदेशी कंपनियों से जुड़ी करीब 38 अरब डॉलर की डील हुईं हैं, वहीं दूसरी ओर चीन में यह आकड़ा 32 अरब डॉलर का है. भारत में फंडामेंटल स्थिति अच्छी होने, बैंकरप्सी कोड लागू होने और बहुत से सेक्टर्स में संभावनाएं बढ़ने से विदेशी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं. इस कैलेंडर इयर में भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) 235 डील में 37.76 अरब डॉलर के साथ अभी तक का सबसे अधिक रहा. इससे पहले चीन को एशिया में सबसे अधिक फॉरेन इन्वेस्टमेंट मिलता था। अमेरिका के साथ चीन के टकराव को फॉरेन इन्वेस्टमेंट की रफ्तार धीमी होने का बड़ा कारण माना जा रहा है.

 

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वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट डील का हुआ फायदा

गौरतलब है की साल 2018 में अमेरिकी रीटेल कंपनी वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को 16 अरब डॉलर में एक्वायर कर वर्ष की सबसे बड़ी ट्रांजैक्शन की थी जिससे भारत की इकॉनमी पर असर पड़ा था. बात अगर ई-कॉमर्स सेक्टर की करें तो इस सेक्टर में भी विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बरकरार है. भारत की एक अरब से अधिक की जनसंख्या के कारण देश में ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं हैं और अमेरिका के साथ ही चीन के इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी भी भारत में बनी हुई है.

 

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