PF घोटाला: DHFL का दावा, बिजली कर्मचारियों का पाई-पाई चुकाएंगे

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) भविष्य निधि घोटाले (UP PF Scam) मामले में रविवार को DHFL के चेयरमैन कपिल वाधवान के हस्ताक्षर से जारी हुआ पत्र सामने आया है. इस पत्र में कपिल वाधवान ने दावा करते हुए कहा हैं कि हम बिजली कर्मियों का पाई-पाई चुकाएंगे. उन्होंने कहा कि DHFL ने 30 सितंबर 2019 तक का भुगतान किया है. वाधवान कहते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के कारण भुगतान रोकने को मजबूर है.


उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की एमडी को हटाए जाने के बाद राज्य सरकार ने अब प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष यूपीपीसीएल आलोक कुमार (Alok Kumar) को भी हटा दिया है. कारपोरेशन के अध्यक्ष होने के नाते आलोक को भी घोटाले के लिए जिम्मेदार मानते हुए बिजलीकर्मियों द्वारा आंदोलन किया जा रहा था. घोटाले को लेकर विपक्षी पार्टियां भी सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. आलोक कुमार को हटाने के लिए खुद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा व कर्मचारी, अभियंता मोर्चा खोले हुए थे. लगातार उनके खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था.


योगी सरकार के बनने के 2 दिन पहले ही DHFL को भेजे 21 करोड़

ईओडब्ल्यू ने पूछताछ के दौरान कई तथ्य पहले से जुटा रखे थे. पूर्व एमडी से अफसरों ने पूछा कि 15 मार्च, 2017 को डीएचएफएल ने अपना कोटेशन दिया था. फिर 16 मार्च को दो और कंपनियों से भी कोटेशन लिया गया? ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का दावा है कि छानबीन में तथ्य हाथ लगे हैं कि फिर अचानक ही 16 मार्च की शाम तक डीएचएफएल में पीएफ का रुपया जमा करने के लिए सहमति दे दी गई थी. प्रदेश में भाजपा की नई सरकार 19 मार्च 2017 को बनी थी. 17 मार्च को ही डीएचएफएल के खाते में 21 करोड़ रुपये आरटीजीएस (जमा) भी करा दिए गए. आखिर इतनी जल्दी क्यों दिखाई गई? इस पर एपी मिश्र संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.



केंद्र की गाइडलाइन को दरकिनार कर अखिलेश सरकार ने किया था निवेश का फैसला

उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा UPPCL कर्मियों के पीएफ का 1600 करोड़ रुपया निजी कंपनी DHFL में निवेश किये जाने से फंस गया है. UPPCL कर्मियों के पीएफ का पैसा केंद्र सरकार की गाईडलाइन को दरकिनार कर निजी कंपनी DHFL में निवेश करने का फैसला अखिलेश सरकार में किया गया था. यह फैसला 21 अप्रैल 2014 को हुई उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट के बोर्ड आफ ट्रस्टीज की बैठक में किया गया था. इसके चलते मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक UPPCL कर्मियों के पीएफ का 2631.20 करोड रुपया DHFL में जमा किया गया. इस दौरान 1000 करोड़ रुपया तो वापस मिल गया, लेकिन इसी बीच मुम्बई हाईकोर्ट ने डीएचएफएल द्वारा किए जाने वाले सभी भुगतान पर रोक लगा दी, जिससे UPPCL कर्मियों के पीएफ का करीब 1600 करोड़ रुपया DHFL में फंस जाने से हड़कंप मच गया है.


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