यूपी में राशन घोटाला, आधार व एनआइसी सॉफ्टवेयर में सेंध लगा हड़प लिया सरकारी राशन

फर्जी राशन कार्डों के सहारे कालाबाजारी करने वाले घोटालेबाजों ने अब फुलप्रूफ समझे जाने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के एनआइसी के सॉफ्टवेयर और आधार लिंकेज प्रणाली में ही सेंध लगा दी है. अकेले पिछले महीने जुलाई की जांच में खाद्य रसद विभाग व एनआइसी अब तक प्रदेश के 43 जिलों में करीब दो हजार राशन दुकानों के जरिये 1.86 लाख से अधिक परिवारों का करीब 12 करोड़ रुपये का राशन बाजार में बेचे जाने का पता लगा चुका है.

 

प्रदेश में अब तक 43 जिलों की जांच में पता चला है कि सर्वाधिक गड़बड़ी इलाहाबाद में की गई है. इसके बाद मेरठ, मुजफ्फरनगर व गाजियाबाद का नंबर है. वहीं लखनऊ में भी इस तरह से घोटाला किया गया. दैनिक समाचारपत्र अमर उजाला के अनुसार शहरी क्षेत्रों में ही ज्यादातर यह घोटाला किया गया, क्योंकि घोटालेबाजों ने यह गड़बड़ी वहीं पर की है, जहां ई-पास (इलेक्ट्रानिक पाइंट ऑफ सेल) मशीनों से अनाज वितरण की व्यवस्था लागू है. ई-पास की सुविधा अभी शहरी क्षेत्रों में स्थित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खुली दुकानों पर ही मुहैया हो पाई है.

 

खाद्य आयुक्त ने बताया कि कुछ जिलों के जिला पूर्ति अधिकारियों ने कंप्यूटराइज्ड तकनीक का दुरुपयोग कर अनाज वितरण में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए शिकायत की थी. इस पर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से जांच कराई गई. सिर्फ जुलाई महीने के डाटा की जांच में यह पता चला है कि ई-पास मशीनों से अनाज वितरण वाले इलाकों में आधार कार्डों के नंबरों में हेराफेरी कर यह अनाज घोटाला किया गया है.

 

इससे साफ है कि गहराई से जांच हो तो काफी बड़ा घोटाला सामने आएगा. खाद्य आयुक्त ने जिला पूर्ति अधिकारियों को पूरे घोटाले का गहराई से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने व पूरी रिपोर्ट मुख्यालय भेजने की हिदायत दी है.

 

ऐसे किया गया खेल 

जांच से पता चला कि कोटेदारों ने तकनीकी ऑपरेटरों से मिलकर वास्तविक लाभार्थी के डाटाबेस में फीड उसके आधार संख्या को एडिट कर किसी अन्य व्यक्ति की आधार संख्या को फीड कर दिया. फिर इस अन्य व्यक्ति के अंगुलियों के निशानों का इस्तेमाल कर स्टॉक से अनाज निकाल लिया गया. ट्रांजेक्शन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वास्तविक लाभार्थी के आधार संख्या को फिर उसके डाटाबेस में अपडेट कर दिया गया। इस तरह वास्तविक लाभार्थी को सस्ते अनाज की सुविधा से वंचित कर अपराध किया गया.

 

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कहां पर कितना घोटाला

इलाहाबाद में 107 आधार कार्डों के नंबरों का 37574 बार प्रयोग कर घोटाला किया गया। इसी तरह मेरठ में 108 कार्डों का 27324, मुजफ्फरनगर में 64 कार्डों का 19,795, गाजियाबाद में 69 कार्डों का 16,568, गौतमबुद्धनगर में 36 कार्डों का 16058, कानपुर नगर 17 कार्डों का 9292, बिजनौर में 37 कार्डों का 8837, आगरा में 41 कार्डों का 8468, मुरादाबाद में 83 कार्डों का 6718, लखनऊ में 24 कार्डों का 4794, सहारनपुर में 7 कार्डों का 3700, गाजीपुर में 31 कार्डों का 3065, अमरोहा में 32 कार्डों का 2527, वाराणसी में 13 कार्डों का 2064, फतेहपुर में 7 कार्डों का 1898, जालौन 7 कार्डों का 1870, फिरोजाबाद में 6 कार्डों का 1510, मऊ 21 कार्डों का 1509, कन्नौज 10 कार्डों का 1325, बरेली 4 कार्डों का 1299, इटावा 9 कार्डों का 1135, हाथरस में 5 कार्डों का 1065, बागपत 13 कार्डों का 1024, मिर्जापुर 7 कार्डों का 1023, रायबरेली में 9 कार्डों का 927, मैनपुरी में 7 कार्डों का 898, ललितपुर में 5 कार्डों का 776, औरैया में 9 कार्डों का 665, मथुरा में 6 कार्डों का 488, शामली में 9 कार्डों का 463, बुलंदशहर में 7 कार्डों का 360, अलीगढ़ में 3 कार्डों का 356, सुल्तानपुर 3 कार्डों का 279, गोंडा में 2 कार्डों का 209, हापुड़ में 2 कार्डों का 186, कासगंज में 2 कार्डों का 144, बहराइच में 21 कार्डों का 138, संत रविदासनगर में 3 कार्डों का 115, रामपुर में 2 कार्डों का 93, आजमगढ़ में 5 कार्डों का 70, कानपुर देहात में 2 कार्डों का 61, बलरामपर में 3 कार्डों  का 38, हमीरपुर में 1 कार्ड का 29 बार नंबर उपयोग कर अनाज वितरण में गड़बड़ी की गई.

 

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