कानपुर में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा (Kanpur Violence) के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी को फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार बाबा बिरयानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। मुख्तार बाबा के खिलाफ 2 मंदिरों का अस्तित्व मिटाकर जमीन पर कब्जा कर रेस्टोरेंट बनवाने के मामले में तीन और केस दर्ज किए गए हैं। 2 केस बजरिया और एक केस चमनगंज थाने में दर्ज हुआ है। तीनों एफआईआर में 26 आरोपी बनाए गए है, जिसमें एक पाकिस्तानी नागरिक समेत 23 नामजद और तीन अज्ञात हैं।
सैयद अदीबुल कदर ने दर्ज कराई एफआईआर
पहली एफआईआर बजरिया निवासी सैयद अदीबुल कदर ने बजरिया थाने में दर्ज कराया है। वह पेशे से जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य हैं। उन्होंने बताया कि 99/15 मकान संख्या उनका है। उससे सटा हुआ 99/14 प्राचीन रामजानकी मंदिर था, जिसको वह बचपन से देखते आए थे। मंदिर के ट्रस्ट में 18 हिंदू परिवारों की दुकानें थीं। 1931 के दंगे के बाद ये सभी पलायन कर गए थे, मगर मंदिर तब भी बरकरार था।
उन्होंने बताया कि पुजारी हर दिन सुबह शाम इस मंदिर में पूजा करते थे। इस केस में मौला बख्श, शिव चरण गुप्ता, पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान, मुख्तार की मां हाजरा बेगम, बाबा मुमताज अहमद, भाई मुश्ताक अहमद, असरारुल हक उर्फ पप्पू सुनार, महफूज आलम, इल्तिफात हुसैन, मोहम्मद वकार, इरशाद, एहतिशामुल, मोहम्मद शमी को आरोपी बनाया गया है।
ऐसे खेल कर कब्जाई मंदिर की जमीन
वादी के अनुसार, अचानक नगर निगम के रिकॉर्ड में इस जमीन को मौला बख्श के नाम दर्ज कर दिया गया। बाकायदा पंचशाला रजिस्टर में इसको दर्ज किया गया। उसके बाद नाबालिग पाकिस्तानी नागरिक आबिद रहमान के नाम पर फर्जी हिबानामा (नामांतरण) कराया गया। फिर आबिद व शिव चरण गुप्ता के जरिये इस संपत्ति को मुख्तार बाबा की मां हाजरा बेगम के नाम पर बैनामा कराया गया।
बाद में वसीयत के जरिये यह जमीन मुख्तार बाबा, उसके भाई मुश्ताक व मुमताज अहमद के नाम हो गई। फिर इन सभी ने उसमें होटल खड़ा कर दिया और मंदिर का अस्तित्व मिटा दिया। आरोप यह भी है कि इन आरोपियों ने करीब पौने दो करोड़ का लोन शत्रु संपत्तियों पर लिया जिसको हड़प लिया गया। वादी ने अवैध निर्माण को ढहाने की अपील भी की है।
एहसानुहक अंसारी ने दर्ज कराई दूसरी एफआईआर
वहीं, बजरिया थाने में दूसरा मुकदमा दर्ज कराने वाले एहसानुहक अंसारी के मुताबिक रामजानकी मंदिर ट्रस्ट में उनके पिता की भी एक पतंग की दुकान थी। जब हिंदुओं की दुकानें ढहाई गईं तो उसकी दुकान को भी नहीं छोड़ा गया। उसे भी ढहा दिया गया था। विरोध पर डी-टू गैंग के अपराधियों से मुख्तार बाबा धमकी दिलवाता था। एहसानुहक की तहरीर पर पुलिस ने मुख्तार बाबा, छुट्टन, सलाउद्दीन, मोबीन, महबूब आलम, महमूद उमर, व तीन अज्ञात पर नामजद व तीन अज्ञात पर केस दर्ज किया।
उदय शंकर ने दर्ज कराई तीसरी एफआईआर
तीसरी एफआईआर चमनगंज थाने में उदय शंकर ने दर्ज कराई है। इसमें मुख्तार व उसकी बेटी नाज आयशा व उसके बेटे पर आरोप लगाया गया है। उदय शंकर के मुताबिक प्रेम नगर में प्राचीन शिव मंदिर (88/52) है। नगर निगम की पंचशाला में वर्ष 1932 से यह मंदिर अंकित है। उनका आरोप है कि मंदिर पर मुख्तार बाबा की नजर पड़ी, तो उसने अपनी बेटी नाज आयशा के नाम फर्जीवाड़ा कर इस जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। इस संबंध में मंदिर संचालक ने पुलिस को 21 मई 2022 को तहरीर दी थी। अब उस तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।
उपद्रवियों को दिए गए थे 500-1000 रुपए
मुख्तार बाबा ने बताया है कि हिंसा और उपद्रव को भड़काने के लिए 500-1000 रुपए में पत्थरबाज बुलाए गए थे। उपद्रवियों को 500-1000 रुपए दिए गए थे। यही नहीं, बाबा बिरयानी की दुकान में ही हिंसा की पूरी साजिश रची गई थी। हिंसा की साजिश पहले से ही रची गई थी। मुख्तार बाबा ने बताया कि 15 से 16 युवाओं को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई थीं। एसआईटी टीम के प्रभारी संजीव त्यागी ने आरोपी मुख्तार बाबा से पूछताछ की है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के बाद उसने कई नए आरोपियों के नाम भी उगले हैं। इतना ही नहीं जिस समय बवाल मचा था आरोपी वीडियो कॉल पर उपद्रवियों के उपद्रव का लाइव तांडव देख रहे थे।
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )