गहलोत सरकार का किसानों को निर्देश, ‘यूरिया चाहिए तो आधार लेकर आओ’

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त सहकारी और कृषि केंद्र को किसानों के आधार की जानकारी इकट्ठा करने के निर्देश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि कई किसानों के पास अब भी आधार नहीं है, ऐसे में इन किसानों को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है।

 

अशोक गहलोत सरकार में मायूस किसान

जानकारी के मुताबिक, अलवर में आधिकारिक केंद्रों पर यूरिया खरीद के लिए जुटे किसान मायूस होकर वापस लौट गए,  जब उन्हें अशोक गहलोत सरकार के आदेशों के बारे में पता चला। वहीं,  अलवर सहकारी कमेटी के अध्यक्ष रामदयाल चौधरी ने बताया कि यह निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि जरूरतमंद किसानों को ही सरकारी यूरिया का लाभ मिले न की कालबाजारी करने वालों को। सरकार का यह निर्णय किसानों के हक में है।

 

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नए आदेश के अनुसार किसान पहले अपना आधार नंबर अंकित करते है और फिर बायोमेट्रिक पहचान के तौर पर अंगूठे का निशान देते है। अधिकारियों के अनुसार सहकारी केंद्रों पर पंजीकृत सभी किसानों के पास इन दोनों जिलों में आधार कार्ड मौजूद है। राज्य में 1.6 लाख टन यूरिया की कमी है और यह नई कांग्रेस सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच जुबानी जंग का अहम मुद्दा बन चुका है।

 

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राजस्थान में यूरिया का संकट

मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद अशोक गहलोत ने कृषि सचिव को यूरिया की कमी का मुद्दा सुलझाने के लिए दिल्ली भेजा था। कांग्रेस सरकार के मुताबिक केंद्र की नीतियों की वजह से राज्य में यूरिया का संकट है। वहीं कोटा से भाजपा सांसद ओम बिड़ला ने कहा कि देश के गैर कांग्रेस राज्य भी केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप नहीं लगा सकते।

 

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सूत्रों के मुताबिक यूरिया खरीद से आधार को जोड़ने का आदेश नया नहीं है। 2017 की वसुंधरा सरकार ने यह फैसला लिया था। अधिकारियों की मानें तो यूरिया खरीद के केंद्रों पर पॉइंट ऑफ सेल मशीनें भी लगाई गई हैं। डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए 2017 में इसे ट्रायल के तौर पर पाली और अलवर में शुरू किया गया था।

 

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