भाजपा नेता का पीएम मोदी को पत्र- धर्मांतरण व अंधविश्वास विरोधी कठोर और प्रभावी कानून बनाने की मांग

भाजपा के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने देश में हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है. अपनी इस चिट्ठी में उन्होंने प्रधानमंत्री से वर्तमान संसद सत्र में कठोर धर्मांतरण विरोधी कानून और एक प्रभावी अंधविश्वास विरोधी कानून बनाने के लिए गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है.

 

बता दें कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में धोखे से, लालच देकर और जबरन धर्मांतरण के कई मामले सामने आये हैं. उत्तर प्रदेश के जौनपुर, गाजीपुर में बड़े स्तर पर धर्मांतरण के रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था, जिसमें गरीब और अशिक्षित लोगों का धोखे और लालच देकर पूरे गाँव का धर्म परिवर्तन करा देने की बात सामने आई थी.

 

अश्विनी उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा कि देश के कई राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो चुके हैं इसके बावजूद बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन हो रहा है. लक्षद्वीप और मिजोरम में हिंदू अब मात्र 2.5% तथा नागालैंड में 8.75% बचे हैं. मेघालय में हिंदू अब 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% बचे हैं और जिस प्रकार से बहुत ही सुनियोजित ढंग से धर्म परिवर्तन हो रहा है यदि उसे नहीं रोका गया तो आने वाले 10वर्षों में स्थिति अत्यधिक भयावह हो जायेगी. भारत विरोधी शक्तियां धर्म परिवर्तन के माध्यम से पूरे हिंदुस्तान में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाना चाहती हैं.

 

नब्बे के दशक तक धर्मांतरण कराने वाली संस्थायें गाँव के गरीब किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को ही टारगेट करती थीं लेकिन आजकल इन्होंने कस्बों और शहरों में भी अपना जाल बिछा लिया है. उत्तर पूर्व के राज्यों में धर्मांतरण कराने के लिए हिंदू नहीं बचे हैं इसलिए ये संस्थायें अब उत्तर प्रदेश बिहार और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में गरीबों का धर्मांतरण कर रहीं हैं. पिछले 10 साल में इन्होंने हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में भी किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को टारगेट करना शुरू कर दिया है. देश की राजधानी में भी बहुत ही सुनयोजित तरीके से अंधविश्वास द्वारा धर्मांतरण का खेल चल रहा है.

 

धर्मांतरण कराने वाले लोग अंधविश्वास और चमत्कार के सहारे गरीब किसान मजदूर दलित शोषित और पिछड़ों को अपने झांसे में लेते हैं और कानून के अभाव में पुलिस भी कुछ कर नहीं पाती है. हमारे वेद, पुराण, गीता, रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में कर्म को ही प्रधान बताया गया है. संविधान के आर्टिकल 51A के अनुसार सभी नागरिकों की यह ड्यूटी है कि वे अपनी रीति- रिवाजों को वैज्ञानिक तरीके से सोचें और आवश्यकतानुसार उसमें सुधार करें लेकिन कानून के अभाव में धर्मांतरण कराने वाले जादू-टोना और अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं.

 

कुछ राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी और अंधविश्वास विरोधी कानून बनाया है लेकिन ये कानून बहुत ही कमजोर हैं. यही कारण है कि धर्मांतरण और अंधविश्वास की बढ़ती घटनाओं के बावजूद आजतक किसी को सजा नहीं हुयी. इसलिए आपसे निवेदन है कि वर्तमान संसद सत्र में एक कठोर धर्मांतरण विरोधी कानून और एक प्रभावी अंधविश्वास विरोधी कानून बनाने के लिए गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दें. जब तक धर्मांतरण कराने वालों और अंधविश्वास फ़ैलाने वालों की 100% संपत्ति जब्त कर इन्हें आजीवन कारावास नहीं दिया जायेगा तब तक धर्म-परिवर्तन और अंधविश्वास को रोकना नामुमकिन है.

 

धन्यवाद और आभार! अश्विनी

 

बता दें, अश्विनी उपाध्याय दिल्ली उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाओं के लिए जाने जाते हैं. इन्होने चुनाव, न्यायिक सिस्टम में सुधार, मुस्लिमों में बहुविवाह, तीन तलाक, हलाला आदि मुद्दों पर याचिकाएं अदालतों में दायर कर रखीं हैं. अभी हाल ही में इन्होने वर्तमान शीतकालीन सत्र में जनसँख्या नियंत्रण पर प्रभावी क़ानून बनाने तथा आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, ‘इंडिया’ शब्द तथा कश्मीर के अलग संविधान को समाप्त करने की मांग करते हुए पीएम मोदी सहित सभी सांसदों की चिट्ठी लिखी थी.

 

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