डॉक्टर करते रहे मना लेकिन अंतिम समय तक बस कहते रहे- बैठ जाऊँगा तो बीमार हो जाऊंगा

मनोहर पर्रिकर भले ही आज इस दुनिया में नहीं हो लेकिन उनकी सीख और उनके काम हमेशा लोगों को पप्रेरणा देते रहेंगे. पैंक्रियाटिक कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी से लगभग एक साल लड़ने के बाद कल 17 मार्च उन्होंने शरीर त्याग दिया. उनके करीबी व गोवा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र आर्लेकर ने बताया कि वो रविवार (17 मार्च) डेढ़ बजे मनोहर जी से मिलने गए थे, उस वक़्त उनकी हालात काफी नाजुक थी लेकिन वह उतने दर्द में होने के बावजूद काम की बातें कर रहे थे. आर्लेकर का कहना है कि वहां मौजूद डॉक्टर उन्हें बात करने से मना कर रहे थे क्योंकि उन्हें बोलने में काफी कठिनाई हो रही थी, मगर वो अंतिम समय तक वो बस अपने काम के बारे में सोचते रहे.


मनोहर पर्रिकर अपने जीवनकाल में चार बार गोवा के सीएम व एकबार भारत के रक्षामंत्री रह चुके थे. फरवरी 2018 में उनको अपनी इस गंभीर बिमारी का पता लगा था जिसके बाद उन्होंने करीब 6 महीने तक न्यूयॉर्क में अपना इलाज करवाया. जब डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए उसके बाद मनोहर वापस गोवा आ गए और अपने आखिरी समय तक काम करते रहे.


IIT पास आउट थे मनोहर पर्रिकर


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को कभी न पूरी होने वाली क्षति बताया है. साथ ही पीएम ने (18 मार्च) को राष्ट्रीय शोक घोषित किया है. देश में पर्रिकर पहले ऐसे सीएम थे जो आईआईटी से पास आउट थे इसके साथ ही वो अपने मिलन स्वाभाव के चलते कई दफा बिना किसी सुरक्षा के स्कूटर चलाते और टी-स्टॉल पर चाय पीते नजर आ जाते थे. वहीं उन पर कभी भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा था.


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बिमारी के समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करते थे काम की मॉनीटरिंग


उनके करीबियों का कहना है कि पर्रिकर इतने बीमार होने के बाद भी हमेशा अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे. उन्होंने कभी अपनी बिमारी को अपने काम खलल डालने का मौका नहीं दिया. राजेन्द्र आर्लेकर का कहना है कि जब वो अमेरिका में अपना इलाज करा रहे थे तब भी वो वहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य के सभी कामों का ब्यौरा लेते थे उनकी मॉनीटरिंग करते थे. वो अक्सर कहा करते थे कि अगर मैं बैठ जाऊँगा तो बीमार हो जाऊंगा. पिछले दिनों एक वीडियो बहुत वायरल हुआ था जिसमें वह कड़ी धूप में भी निर्माणधीन पुल का जायजा लेने पहुंच गए थे. कैंसर के बाद भी जिस दिन वह ऑफिस नहीं आ पाते उस दिन घर से ही काम करते थे. घर पर मंत्रिमंडल की बैठक लेते थे.


एक किस्से का जिक्र करते हुए राजेन्द्र आर्लेकर ने बताया कि 2004 के फिल्म फेस्टिवल में सब मेहमान भी हैरान रह गए थे जब पर्रिकर पसीने से लथपथ होकर पुलिसवालों के साथ ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे थे. वहीं बेटे की शादी में सब सूट-बूट में थे तो वहीं पर्रिकर हाफ शर्ट, क्रीज वाली साधारण पैंट और सैंडिल में मेहमानों की आवभगत कर रहे थे.


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राजेन्द्र आर्लेकर बताते हैं कि जब वो बीमार नहीं थे तो 16-18 घंटे काम करते थे. एक किस्से का जिक्र करते हुए राजेन्द्र ने बताया कि एक बार वह आधी रात तक अपने ओएसडी गिरिराज वरनेकर के साथ किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे. ऐसे में जाते वक्त वरनेकर ने पूछा की किल किस वक्त आना है तो जवाब मिला थोड़ी देर से आ सकते हो. तो सुबह 6:30 तक आ जाना. ऐसे में जब सुबह वरनेकर ऑफिस पहुंचे तो पता लगा कि पर्रिकर सुबह 5:15 से ही काम में जुट गए थे.


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