मिशन रोजगार’ के लिए योगी ने बदल दिया कानून, अब गांव में लगेंगी फैक्ट्रियां, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

बीते 8 महीने में देशभर में सबसे अधिक रोजगार मुहैया वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अपनी मुहिम को धार देने में जुटे हैं. इसी कड़ी में रविवार को मुख्यमंत्री ने कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए वर्षों से लागू एक अव्यवहारिक कानून को खत्म कर दिया है. अब प्रदेश में कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में इस कानून के खात्मे को एक बड़ा कदम बताया जा रहा है.


इस एक कानून के खत्म होने से अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा आसानी से अपनी फैक्ट्री स्थापित कर लोगों को रोजगार मुहैया करा सकेंगे. यहीं नहीं, इस कानून के खत्म होने से प्रदेश के औद्योगिकीकरण में तेजी आयेगी और इससे ईज आफ डूइंग बिजनेस का क्रियान्वयन तेजी से किया जा सकेगा. इसके अलावा कई तरह की औद्योगिक इकाइयों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में होगी. और नये साल में युवा उद्यमी एमएसएमई (MSME) सेक्टर में 20 लाख लोगों को वित्त पोषित करने से संबंधी सरकार के तय किये गए लक्ष्य को पूरा करने में अहम रोल निभा सकेंगे. सरकार ने 20 लाख एमएसएमई को नए साल में वित्त पोषित करने का नया लक्ष्य तय किया है.


इस लक्ष्य को पूरा करने के क्रम में बीती 23 दिसंबर को प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि से कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया है. पूर्व की सरकारों ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता बनाए रखी थी. इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदिवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था. इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था. इस कानून के चलते ग्रामीण इलाकों में उद्यम स्थापित करने में निवेशकों को असुविधा हो रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपना उद्यम स्थापित करने में रूचि नहीं ले रहे थे.


जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चहारदिवारी का निर्माण करने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला लिया. यह निर्णय करते हुए सरकार ने अब यह शर्त जोड़ी है कि कृषि जमीन का जिस उपयोग के लिए भू-उपयोग बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा. राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद छोटे बड़े उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी. सरकार का मत है कि इस फैसले से अब ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे बड़े उद्योग लगेंगे और ग्रामीणों को उनमें रोजगार मिलेगा. इससे एमएसएमई सेक्टर को मजबूती मिलेगी.


 

एमएसएमई सेक्टर ने ही कोरोना संकट के दौरान बड़ी संख्या में राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट इसका सबूत है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई से रोजगार देने में यूपी ने कई राज्यों को पछाड़ा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 1.90 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए. सबसे अधिक रोजगार एमएसएमई ने दिया. प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में एमएसएमई सेक्टर में 8,07,537 इकाइयां कार्यरत हैं. इनमें 48,13,401 श्रमिक काम कर रहे थे. कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के प्रयास से 2,57,348 नए श्रमिकों को इस सेक्टर में रोजगार दिया है.


अब ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम लगाने के लिए योगी सरकार द्वारा कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता खत्म करने से एमएसएमई सेक्टर उद्यम स्थापित करने में निवेशकों की रूचि में इजाफा होगा. इसके अलावा सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन करने संबंधी कार्यवाही को पारदर्शी बनाया है और 14 जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए हैं. सरकार ने बड़े निवेशकों को औद्योगिक इकाई की स्थापना के लिए पारदर्शी तरीके से भूमि आवंटन की ई -प्रणाली पर भी काम शुरू किया है.


सरकार के इन प्रयासों को लेकर अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि राज्य के युवा रोजगार मांगने के बजाय रोजगार मुहैया कराने वाले बनें. ऐसा तभी होगा जब राज्य के युवा उद्यम लगाएं. सरकार इसके लिए कानून में बदलाव कर युवा उद्यमियों को अवसर उद्यम लगाने अवसर प्रदान कर रहीं है. अफसरों के इस कथन पर औद्योगिक संगठनों से जुड़े बड़े उद्यमियों का कहना है कि योगी सरकार के इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग कृषि उत्पाद और पशुधन से जुड़े उद्यम स्थापित करने के लिए आगे आयेंगे. जिसके चलते ग्रामीणों को उनके गांव के नजदीक रोजगार मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.


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