चीनी मिल घोटाले में मायावती की बढ़ी मुश्किलें, अब ED करेगी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

लोकसभा चुनाव के बीच मायावती सरकार (2010-11) में बेची गई चीनी मिलों में हुए घोटाले का मामला सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय के जांच के दायरे में आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय अब इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करेगा। मामले की जांच कर रही सीबीआई को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज मिले थे, जो कि प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दिए गए हैं।


प्रदेश सरकार को हुआ 1179 करोड़ रुपए का घाटा

जानकारी के मुताबिक, इस घोटाले की वजह से प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ था। दरअसल, चीनी निगम ने वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलें बेची थीं। नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड व गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज (कुशीनगर और हरदोई) इकाई की मिलें खरीदने के लिए आवेदन किया था। दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के अगले चरण के लिए योग्य घोषित कर दिया था।


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जांच में खुलासा हुआ कि कंपनियों ने काल्पनिक बैलेंस शीट, बैंकों का फर्जी लेन-देन दिखाकर कीमती चीनी मिलों को औने-पौने दामों में खरीद लिया। बिक्री प्रक्रिया के दौरान किसी अधिकारी ने भी कंपनियों की ओर से दाखिल किए गए दस्तावेज की पड़ताल भी नहीं की थी। जब ये चीनी मिल कंपनी को बेची गई उस दौरान यूपी में बीएसपी की सरकार थी और बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश की सीएम थीं। 


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2017 में जब उत्तर प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2018 में चीनी मिलों के बेचे जाने संबंधी जांच कराने की सिफारिश की थी। जिसके बाद सीबीआई ने केस दर्ज करके जांच शुरु कर दी थी। ऐसे में अब प्रवर्तन निदेशालय इस प्रकरण से जुड़े आरोपियों से एक बार फिर पूछताछ करेगी। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि इस जांच की आंच के दायरे में बसपा सुप्रीमो मायावती भी आ सकती है।


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