उत्तर प्रदेश में धान खरीद को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की देखरेख में तैयार हुई योजना असरदार साबित हुई है। इस योजना के चलते ही राज्य में अब तक 6,95,819 किसानों से 3729751.124 मीट्रिक टन धान खरीदा गया। जबकि बीते साल 16 दिसंबर तक 3,15,866 किसानों से धान की खरीदा गया था। इस प्रकार बीते साल के मुकाबले अब तक दोगुने से अधिक किसानों से सरकार ने धान खरीद (Paddy Purchase) कर अपना ही रिकार्ड तोड़ा है।
प्रदेश में अभी भी धान खरीद की प्रक्रिया जारी है। यही नहीं योगी सरकार ने प्रदेश के धान किसानों को सबसे अधिक भुगतान का रिकार्ड बनाया है। राज्य सरकार ने पिछले चार साल में प्रदेश के धान किसानों को 31904.78 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। प्रदेश में धान किसानों को सबसे अधिक भुगतान का यह एक रिकार्ड है।
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गेहूं किसानों को भुगतान के मामले में भी योगी सरकार ने पिछली सरकारों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। राज्य में अबतक हुई धान खरीद के आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं। राज्य में धान खरीद से जुड़े अफसरों के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में किसानों को उनकी फसल की लागत से दो गुना दाम दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
इसके तहत ही प्रदेश सरकार ने सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,868 रुपए प्रति क्विंटल जबकि ग्रेड ए धान का 1,888 रुपए प्रति क्विंटल रखते हुए इस वर्ष धान खरीद का कुल लक्ष्य 55 लाख मीट्रिक टन रखा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीद के लिए प्रदेश में कुल 4,150 क्रय केंद्र खोले गए हैं।
कुल 12 एजेंसियां धान की खरीद कर रही हैं। अब तक 3729751.124 मीट्रिक टन धान किसानों से खरीदा जा चुका है। धान खरीद का प्रति किसान औसत 53.60 क्विंटल है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य के कई जिलों में बीते वर्ष के मुकाबले आठ से नौ गुना अधिक धान की खरीद हुई है। ऐसे जिलों में वाराणसी का भी नाम शामिल है।
वाराणसी में 2490 किसानों से 15551.609 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है, बीते वर्ष के मुकाबले यह खरीद 9.25 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार मुजफ्फरनगर में 11622 किसानों से 131507.2863 मीट्रिक टन धान खरीदा गया। इसके अलावा शामली, सहारनपुर और रामपुर में भी धान की रिकॉर्ड खरीद हुई है।
कहा जा रहा है कि राज्य में धान खरीद में इजाफा सरकार की सख्ती के चलते ही हुआ है। सरकार ने किसानों से धान खरीद में किसी तरह की गड़बड़ी ना होने पाए, इसके स्पष्ट निर्देश दिए थे। और किसानों से धान खरीद में शिकायतें मिलने पर अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जिसके चलते मंडियों में किसानों से धान खरीद में इजाफा हुआ।
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