वाराणसी में असली दारोगा की ‘नकली क्राइम ब्रांच टीम’, सर्राफा कारोबारी के लूटे 42 लाख रुपए, मुस्कुराता हुआ गया जेल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) जनपद में एक लूट की वारदात से जब पर्दा उठा तो हर कोई दंग रह गया। इस लूट की वारदात में एक सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) भी शामिल था। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के इस दारोगा और उसके 2 साथियों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, अभी भी तीन आरोपी फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में दबिश दी जा रही है। कैंट थाने की नदेसर पुलिस चौकी पर तैनात आरोपी सब इंस्पेक्टर और उसके साथियों ने नकली क्राइम ब्रांच टीम का अधिकारी बन व्यापारी से 42 लाख रुपए लूटे थे। लूट की इस घटना में लिप्त सब इंस्पेक्टर के साथी अजय गुप्ता और विकास मिश्रा के पास से पुलिस ने 8 लाख रुपए के साथ ही 2 पिस्टल बरामद की है।

दारोगा व साथियों को भेजा गया जेल

मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में गिरफ्तार दारोगा सूर्य प्रकाश पांडेय और उसके 2 साथियों को 24 बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। दरअसल, बीते 22 जून की रात सर्राफा कारोबारी जयपाल कुमार के कर्मचारी अविनाश गुप्ता और धनंजय यादव से 42 लाख रुपए लूट लिए गए थे।

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इस मामले में रामनगर थाने में 21 दिन बाद यानी 13 जुलाई को केस दर्ज किया गया था। रामनगर हाईवे पर एक दारोगा और उसके साथियों ने खुद को क्राइम ब्रांच से बताते हुए जांच के नाम पर कर्मचारियों से रुपए लूटे थे। पुलिस कमिश्‍नर मोहित अग्रवाल के निर्देश पर एसओजी ने मामले की जांच के दौरान सीसी कैमरों की फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और सर्विलांस की मदद से एक आरोपी को पकड़ा।

एसओजी व पुलिस टीम को 50 हजार इनाम का ऐलान

इस आरोपी पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर दारोगा और उसके एक अन्‍य साथी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने एसओजी और पुलिस टीम को 50 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है। वहीं, मामले की जानकारी देते हुए डीसीपी काशी जोन गौरव बंशवाल ने बताया कि पुलिस की वर्दी में लूट हमारे लिए चुनौती थी। रामनगर में 13 जुलाई को केस दर्ज हुआ तो एसओजी को लगाया गया।

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सर्राफा कारोबारी ने बताया था कि चंदौली क्राइम ब्रांच बताकर लूट करने वाले काली क्रेटा कार से आए थे। जांच पड़ताल के दौरान पता चला कि क्रेटा कार से चलने वालों में सूर्य प्रकाश का भी नाम सामने आया। सर्विलांस जांच में सूर्य प्रकाश के मोबाइल का लोकेशन रामनगर में मिला। सीसीटीवी कैमरे में भी गतिविधियां संदिग्ध दिखीं, तो पुलिस समझ गई कि दारोगा ही गिरोह का सरगना है।

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