अब WhatsApp खुद बतायेगा कि उसपे आया मेसेज FAKE है या नहीं, यह है तरीका

लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मेसेज की बाढ़ आ जाती है. ऐसे में कौन सी जानकारी फेक है और कौन सी सही यह समझना बहुत जरूरी है. भारत में वॉट्सऐप (WhatsApp) अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक से ज्यादा पॉप्युलर है. फेक और रियल की पहचान के लिए कंपनी ने एक फैक्ट चेकर सर्विस लॉन्च की है जिससे आप लिंक्स को एक ‘Checkpoint Tipline’ पर फॉरवर्ड करके वेरिफाई कर सकेंगे.


इस सिस्टम से टेक्स्ट, इमेज और विडियो फॉर्मेट्स का वैरिफिकेशन किया जा सकेगा. मंगलवार को वाट्सएप ने स्टेटमेंट जारी कर ‘Checkpoint Tipline’ फीचर लांच होने की जानकारी दी है. इसमें सबसे ख़ास बात यह है कि यह सेवा इंग्लिश, हिंदी, बंगाली, मलयालम और तेलगु भाषाएं सपॉर्ट करती है.


PROTO के साथ पार्टनरशिप

इस सर्विस की लॉन्चिंग के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (ICFJ) के साथ असोसिएटेड मीडिया स्टार्टअप PROTO के साथ पार्टनरशिप की गई है. चेकप्वाइंट की मदद से मेसेजिंग ऐप प्लेटफॉर्म पर शेयर की गई जानकारी की सत्यता को परखा जा सकेगा.


कैसे काम करता है टिपलाइन चेकपॉइंट?

वॉट्सऐप पर मेसेजिंग सर्विस इंक्रिप्टेड होती है यानी कोई थर्ड पार्टी मेसेज को नहीं पढ़ सकता. यह टिपलाइन सर्विस तब काम करती है जब कोई यूजर अगर किसी मेसेज को वैरिफाई करना चाहता है तो ऐसे में PROTO थर्ड पार्टी नहीं बल्कि एक रिसीवर के तौर पर काम करता है.


ऐसे कर सकते हैं फेक न्यूज की जांच

किसी भी मेसेज, फोटो या वीडियो पर संदेह होने की दशा में उसे चेकपॉइंट टिपलाइन (+91-9643000888) पर भेजा जा सकता है. यूजर द्वारा मैसेज भेजे जाने के बाद PROTO का वेरिफिकेशन सेंटर मैसेज की जांच करेगा. पड़ताल करने के बाद यूजर को जानकारी दी जाएगी कि मैसेज सही है या गलत. मैसेज को कुछ भागों में बांटा गया है, जैसे गलत, सही, विवादित या आउट ऑफ स्कोल और भ्रामक. जानकारी को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा तेलुगु, मलयालम, बंगाली आदि भाषाओं में भी जांचा जा सकता है.


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