मुस्लिम बेटी गुलफसा का निकाह कराकर हिंदू समाज ने पेश की मिसाल, ब्राह्मण दंपति ने किया कन्यादान

देश में डर का माहौल और नफरत फैला रहे लोगों के लिए गुलफसा का निकाह मिसाल बन चुका है, गुलफसा के निकाह ने समाज को संदेश दिया कि, रिश्ता हो तो बस इंसानियत का. रविवार को बागपत के गांव अब्दुल पुर में मुस्लिम बेटी का निकाह हिंदू समाज के लोगों ने कराया. यह निकाह समाज में भेदभाव द्वेष भूलकर मिलजुल कर रहने की सीख दे रहा. यहां हिंदू समाज के लोगों ने मुस्लिम बेटी का निकाह संपन्न कराया, और एक ब्राह्मण दंपति ने लड़की का कन्यादान किया.


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मुस्लिम बेटी गुलफसा के पिता पिछले 28 सालों से लापता है, घर की माली हालत बेहद खराब है. ऐसे में बेटी गुलफसा के निकाह के लिए गांव का हिंदू समाज आगे आया. गांव के एक ब्राह्मण दंपति ने मुस्लिम बेटी गुलफसा का कन्यादान की रस्म पूरी की. गांव के अन्य लोगों ने बरात की खातेदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां लोगों का कहना है कि, यह किसी बेटी की शादी में सहयोग नहीं था. यह एक इंसानियत का काम था. गांव वालों का कहना है कि, यह समाज में नफरत फ़ैलाने वालों के लिए एक सबक है. निकाह के बाद गुलफसा ख़ुशी-खुशी ससुराल को रुख्सत हुई तो सबकी आंखें नम हो गईं.


बरात का जमकर हुआ स्वागत


गाजियाबाद की पूजा कॉलोनी निवासी अय्यूब रविवार को जब रात लेकर गांव पहुंचे तो पूरा गांव स्वागत में जुट गया. पंडित गंगेश्वर शर्मा ने हिंदू समाज के माध्यम से रकम जुटाई, साथ ही गंगेश्वर शर्मा और उनकी पत्नी कांता देवी ने गुलफसा का कन्यादान किया. गुलफसा के भाई साकिर के अनुसार 150 लोगों को भोजन कराया गया. हसनपुर मंसूरी की मस्जिद के मौलवी कारी मोहम्मद ने निकाह पढ़वाया.


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बेटी की शादी कराने का धर्म किया पूरा


गंगेश्वर कहते हैं कि, उन्होंने बेटी की शादी कराने का धर्म पूरा किया. गंगेश्वर कहते हैं धर्म से क्या फर्क पड़ता है, उन्होंने एक पिता की तरह बेटी की शादी कराने का धर्म पूरा. मौलाना इसरार का कहना है कि मुस्लिम बेटी के निकाह में हिंदुओं ने भरपूर सहयोग कर भाईचारे का संदेश दिया है.


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