पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammed) पर टिप्पणी को लेकर मचे घमासान के बीच इस्लामिक स्कॉलर अतीकुर रहमान (Islamic Scholar Atiqur Rahman) का बड़ा बयान सामने आया है. अतीकुर रहमान का कहना है कि नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने पैगंबर मोहम्मद पर जो बयान दिया था, वह गलत नहीं था. अतिकुर रहमान ने यह बात एक डिबेट शो के दौरान कही है. इसके साथ ही उन्होंने इसको लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई जा रही नफरत और धमकियों पर भी अफसोस जाहिर किया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को लगता है कि नूपुर शर्मा ने गलत कहा तो किसी वरिष्ठ मौलवी को बताना चाहिए कि वह कहाँ गलत थीं.
दरअसल, बहस के दौरान विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के नेता विनोद बंसल ने कट्टरपंथियों द्वारा हत्या की धमकियाँ दिए जाने का मुद्दा उठाया था. इस पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने कहा कि भारत एक लिबरल डेमोक्रेसी वाला देश है. कोई कट्टर धार्मिक मुल्क नहीं है, जहाँ धर्म की आलोचना का मतलब कड़ी सजा हो. इसके बाद विनोद बंसल ने कहा कि, ‘मैं अतीकुर रहमान के उस बयान का समर्थन करता हूँ कि पैगंबर मुहम्मद के जीवन पर चर्चा की जानी चाहिए, क्योंकि उनके जीवन से काफी चीजें सीखनी हैं. भारत ऐसा देश है, जहाँ हम भगवान राम और कृष्ण के जीवन के संबंध में चर्चा करते हैं, ताकि चीजों को सीखें और उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लें. ऐसे में हमें पैगंबर मुहम्मद से क्यों नहीं सीखा जाना चाहिए?’.
'I want to ask Islamic Scholars – what was wrong about what #NupurSharma said?' –
Vinod Bansal, VHP Spokesperson asks Islamic Scholar Atiqur Rahman on #StopHinduHate debate on @pradip103's show @JMukadma on @IndiaNews_itv.@vinod_bansal #MahuaMoitra #KaaliPosterRow pic.twitter.com/7h1PnLrpUG
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) July 7, 2022
इसके बाद बंसल ने अतीकुर रहमान से सवाल किया कि, ‘जहाँ तक नुपुर शर्मा का प्रश्न है, उन्होंने जो भी कहा है वो इस्लामिक किताबों के हवाले से कहा है और यही बात कई इस्लामिक विद्वानों ने भी कही है. इसलिए मैं पूछना चाहता हूँ कि उनके बयान में गलत क्या था? क्या नूपुर ने गलत कहा था? या फिर उनकी शैली और व्यवहार गलत था? इस्लामिक किताबों में जो भी लिखा है, वो गलत है? आखिर कट्टरपंथी उनका सर तन से जुदा करने की माँग क्यों कर रहे हैं?’ इसके जबाव में रहमान ने कहा कि, ‘मैं आपको बताना चाहता हूँ कि नूपुर शर्मा गलत नहीं थीं. यदि कोई इस्लामी विद्वान या मुस्लिम ऐसा सोचता है कि वह गलत थीं, तो इस्लाम का दायरा इतना बड़ा है कि उन्हें (नूपुर को) माफ किया जा सकता है. कोई वरिष्ठ मौलवी बताए कि वो कहाँ गलत थीं.’
अतीकुर रहमान के इस बयान का समर्थन करते हुए डिबेट के होस्ट प्रदीप भंडारी ने कहा कि धर्म के संबंध में इस प्रकार से बहस होनी चाहिए. जहाँ किसी भी गलतफहमी को बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान के जरिए दूर किया जाता है न कि धमकियों से.
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