जनसंख्या नियंत्रण और धर्म परिवर्तन विरोधी क़ानून तत्काल बनायें, क्योंकि भारत तभी तक सेक्युलर देश है जब तक यहां हिंदू बहुसंख्यक है: अश्विनी उपाध्याय

बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने देश में तेजी से बढ़ रही जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इस समस्या से निजात पाने के लिए जितना जल्दी हो सके जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाने की मांग की है. इतना ही नहीं उपाध्याय ने अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने की मांग भी केंद्र सरकार से की है.


सोमवार को एक वीडियो जारी कर अश्विनी उपाध्याय ने कहा, “संविधान में धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक की कोई परिभाषा नहीं है. हमने सुप्रीम में इसकी परिभाषा तय करने की मांग की थी, जिसपर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक को परिभाषा तय करने का आदेश दिया था लेकिन उन्होंने नहीं किया” उपाध्याय ने कहा, “इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को 90 दिनों में अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और उन्हें पहचानने का तरीका बताने का आदेश दिया था, लेकिन उसकी भी समय सीमा 10 मई को पूरी हो चुकी और अल्पसंख्यक आयोग ने कुछ नहीं किया”


उपाध्याय ने देश के बुद्धिजीवियों और राजनेताओं से सवाल पूछते हुए कहा, “लक्षद्वीप का 2% हिन्दू अल्पसंख्यक है या वहां पर जो 97% मुस्लिम रहता है वो अल्पसंख्यक है? कश्मीर का 27-28% हिन्दू अल्पसंख्यक है, या वहाँ जो 70% मुसलमान रहता है वो अल्पसंख्यक है ? नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश इन सभी कुल 8 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक है” वरिष्ठ अधिवक्ता ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा, “जिसे भी देना है एक गरीबी का पैमाना तय कर दीजिये, वहां जो भी फिट बैठता है उसे दे दीजिये अथवा राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान कीजिये, जहां जो अल्पसंख्यक हो उसे लाभ दीजिये”.


अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने कहा, “देश में हिन्दुओ की संख्या लगातार गिर रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या विस्फोट और धर्मपरिवर्तन. जनसंख्या नियंत्रण क़ानून और धर्मपरिवर्तन विरोधी क़ानून की तत्काल जरुरत है क्योंकि भारत तभी तक सेक्युलर है जब तक यहां हिन्दू बहुसंख्यक है और जिस दिन हिन्दू 60% पर आ गया उसी दिन भारत सेक्युलर देश नहीं रह पायेगा” . उपाध्याय ने पूछा “हम सेक्युलर देश हैं, संविधान में सभी को बराबर का अधिकार है तो फिर क्या जरुरत है अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय और आयोग की ? 2006 में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय बना तो क्या उससे पहले अल्पसंख्यको का कल्याण नहीं हुआ ? उन्होंने कहा कि यह केवल और केवल तुष्टीकरण को बढ़ाता है”


वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “पूरी दुनिया में भारत एकलौता ऐसा देश है जहां का बहुसंख्यक हिन्दू समान अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है, बाकी सभी जगह अल्पसंख्यक समान अधिकार मांगते हैं. भारत का हिन्दू समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण क़ानून और सबको बराबरी के अधिकार की मांग करता है वहीं बाकी देशों में यह मांग वहां का अल्पसंख्यक करता है.” उपाध्याय ने कहा जब हमें संविधान आर्टिकल 14 के तहत बराबर अधिकार दे रहा है, आर्टिकल 15 धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव न करने की बात कह रहा है तो जरुरत ही क्या है इन आधार पर भेदभाव करने की. अश्विनी उपाध्याय ने केंद्र सरकार से मांग करते हुआ कहा, “तुष्टीकरण बंद किया जाए, समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता के साथ कठोर जनसंख्या नियंत्रण और धर्मांतरण विरोधी क़ानून बनाया जाए”.


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