लाइफस्टाइल: हमारे देश की महिलाओं में स्तन कैंसर की संख्या 27 प्रतिशत से ज्यादा हैं. सबसे ज्यादा स्तन कैंसर की परेशानी 30 वर्ष से अधिक उम्र की औरतों में पाया जाता है. इस बात पर गौर करना बहुत जरूरी है, अन्यथा कई औरतें ऐसी होतीं हैं जो इसको अनदेखा करती रहती हैं, जो आगे चलकर उनके लिए जानलेवा बीमारी का कारण भी बन जाता है.
स्तन कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं के स्तन में होती है. इस प्रक्रिया में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं. कुछ मेडिकल साइंस के मुताबिक अब भारत की महिलाओं में छोटी उम्र में ही स्तन कैंसर होने लगा है. वहीं इसमें जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई आती है. इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं. स्तन कैंसर के पीछे जो कारक हैं, उनमें प्रमुख हैं- जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली.
इस तरह से करें बचाव-
स्तन कैंसर में ज्यादातर यह ध्यान देने योग्य है की 30 साल से ज्यादा की उम्र की महिलाओं में यह स्क्रीनिंग आवश्यक रूप से करवाई जाए. इसके साथ ही जीवनशैली में भी कुछ बदलाव किए जाएं. इससे स्तन कैंसर की आशंका कम की जा सकती है.
इस बीमारी में अचानक होने वाले डीएनए परिवर्तन से सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है. इनमें से कुछ परिवर्तन तो माता-पिता से मिलते हैं, हालांकि बाकी ऐसे परिवर्तन जीवन में खुद ही प्राप्त हो जाते हैं. प्रोटोओंकोजीन्स की मदद से ये कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं. इन कोशिकाओं में जब म्यूटेशन या उत्परिवर्तन होता है, तब ये कैंसर कोशिकाएं बेरोक-टोक बढ़ती जाती हैं.
ऐसे उत्परिवर्तन को ओंकोजीन के रूप में जाना जाता है. एक अनियंत्रित कोशिका वृद्धि कैंसर का कारण बन सकती है. माता-पिता से उत्परिवर्तित जीन से स्तन कैंसर का जोखिम अधिक होता है. उच्च जोखिम वाली महिलाओं को हर साल एमआरआई और मैमोग्राम कराना चाहिए. जिससे इसके इलाज की जांच करवाई जा सकती है.
यदि 11 वर्ष की आयु या उससे पहले ही मासिक धर्म शुरू हो जाए या 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति हो तो माना जाता है कि एस्ट्रोजेन का एक्सपोजर अधिक है. महिलाओं को 45 वर्ष से 54 वर्ष की उम्र तक हर साल एक बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा लेना चाहिए. 55 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग करानी चाहिए.
स्तन कैंसर से बचाव के उपाय-
- शराब का सेवन कम करें: शराब से स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. आदी होने पर दिन में एक पैग से अधिक न लें, क्योंकि शराब की कम मात्रा से भी खतरा रहता है.
- धूम्रपान से बचें: अनुसंधान बताता है कि धूम्रपान और स्तन कैंसर के बीच एक संबंध है.
- शरीर का वजन काबू में रखें: सक्रिय जीवन जीयें. अधिक वजन या मोटापे से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. रोजाना लगभग 30 मिनट व्यायाम अवश्य करें.
- स्तनपान: स्तनपान कराने से स्तन कैंसर की रोकथाम होती है.
- हार्मोन थेरेपी को कम करें: हार्मोन थेरेपी की अवधि तीन से पांच साल तक होने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. सबसे कम खुराक का प्रयोग करें जो आपके लिए प्रभावी है. आप कितना हारमोन लेते हैं इसकी निगरानी डॉक्टर खुद करे तो बेहतर होगा.
- स्वस्थ आहार लें: फलों और सब्जियों से समृद्ध, संपूर्ण अनाज और कम वसा वाला आहार लें.
- तनाव से बचें: यह प्रतिरक्षा को कमजोर करता है और शरीर के रक्षा तंत्र को बिगाड़ता है. योग अभ्यास, गहरी सांस लेने और व्यायाम करने से लाभ होता है.
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