नोटबंदी: नोटिस का जवाब न देने पर आयकर विभाग का 87 हजार लोगों पर शिकंजा, हो सकती है कुल आय की जांच

नोटबंदी को काफी समय बीत चुका है लेकिन इसका इसका प्रभाव अभी तक है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयकर विभाग ने 87 हजार लोगों को पर शिकंजा कसा है. विभाग का कहना है कि इन लोगों ने नोटबंदी के बाद नोटिस का जवाब नहीं दिया था. विभाग कहना है की नोटबंदी के बाद उसने 3 लाख लोगों को एसएमएस, ईमेल व अन्य माध्यमों से नोटिस भेजा था. अब उन सभी को ‘सर्वश्रेष्ठ निर्णय’ के मूल्यांकन के अधीन होना होगा। वरिष्ठ अधिकारी को जारी की गई अधिसूचना के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मानक संचालन प्रक्रिया को निर्धारित कर दिया है.


बता दें कि, इससे पहले भी आयकर विभाग ने लगभग 3 लाख व्यक्तियों को धारा 142 (1) के तहत नोटिस जारी किए थे. जिसमें उन्हें कैश जमा करने से संबंधित और 2015-16 के आयकर रिटर्न की जानकारी देने के लिए कहा गया था. 87,000 मामलों में आयकर विभाग को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. सीबीडीटी का कहना है कि ‘सर्वश्रेष्ठ निर्णय’ को 31 मार्च तक पूरा करना होगा या नवीनतम 30 जून तक का होना चाहिए.


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कुल आय की हो सकती है जांच


इस बारे में नंगला एडवाइजर्स के प्रबंध साझेदार राकेश नंगला का कहना है कि, ‘यह करदाता अब आयकर विभाग के रडार पर हैं क्योंकि कर अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वह उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा सूचना प्राप्त कर सकते हैं और वह इस सूचना के आधार पर उनकी कुल आय की जांच कर सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आयकर अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वह करदाता की कुल घोषित संपत्ति के आधार पर उसकी कुल आय की जांच कर सकता है.’


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सीबीडीटी ने अधिसूचना में कहा है कि आयकर अधिकारी किसी भी शख्स को धारा 133(6) के तहत कुछ अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए नोटिस भेज सकते हैं. जिसमें व्यक्तियों की अतिरिक्त जानकारी, बैंकों से लेनदेन और निधि प्रवाह (फंड फ्लो) का विवरण भी शामिल है। अधिसूचना में कहा गया है, ‘संबंधित आयकर अधिकारी सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के बाद ही इस नोटिस को जारी कर सकता है ताकि अतिरिक्त जानकारी को बाहर निकाला जा सके.’


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